उमस और गर्मी से नागपुरवासी परेशान, बुवाई के इंतजार में बैठे किसानों में बढ़ी चिंता; 15 जून के बाद विदर्भ में झमाझम बारिश की संभावना

नागपुर: नागपुर और विदर्भ के नागरिक इन दिनों भीषण गर्मी और उमस से बेहाल हैं। पिछले कुछ दिनों में तापमान 43 से 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जो इस मौसम में असामान्य और कष्टदायक माना जा रहा है। इसके साथ ही आद्रता (Humidity) का स्तर भी काफी बढ़ा हुआ है, जिससे लोगों को पसीने और थकान का सामना करना पड़ रहा है।
भीषण गर्मी का दौर जारी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, बीते सप्ताह नागपुर पूरे महाराष्ट्र का सबसे गर्म शहर रहा। यहां अधिकतम तापमान 43.6 डिग्री तक दर्ज किया गया, जो सामान्य से लगभग 4 डिग्री अधिक था। शहरवासियों को सुबह से ही तेज धूप, तपिश और गर्म हवाओं ने परेशान कर रखा है।
15 जून के बाद राहत की उम्मीद
मौसम विभाग ने राहत भरी खबर दी है। 15 जून के बाद विदर्भ क्षेत्र में मानसून सक्रिय होने की संभावना है।
- 16 जून से हल्की बारिश और गरज के साथ छींटें पड़ने की शुरुआत हो सकती है।
- 17 से 20 जून तक नागपुर और आसपास के जिलों में मध्यम से भारी बारिश की संभावना जताई गई है।
- 18 और 19 जून को कुछ क्षेत्रों में तेज बौछारें पड़ने की चेतावनी भी दी गई है।
मानसून की धीमी लेकिन स्थिर वापसी
आईएमडी ने बताया कि इस बार मॉनसून "पॉज़" की स्थिति में था, यानी कुछ समय के लिए उसकी प्रगति रुक गई थी। लेकिन अब अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी भरी हवाएं लौट रही हैं, जिससे अगले कुछ दिनों में विदर्भ में बादल छाने और बारिश की संभावना बढ़ गई है।
जनजीवन प्रभावित, स्वास्थ्य पर असर
भीषण गर्मी और उमस के चलते शहर के अस्पतालों में डिहाइड्रेशन, चक्कर और थकावट से संबंधित मरीजों की संख्या में इज़ाफा हुआ है। डॉक्टरों ने नागरिकों को दिन में बाहर निकलने से बचने, पानी और तरल पदार्थ भरपूर मात्रा में पीने की सलाह दी है।
बारिश नहीं होने से बढ़ी किसानों की मुश्किलें
यह समय खरीफ सीजन का है। नागपुर सहित विदर्भ के किसानों ने बुवाई की पुरी तैयारी कर ली है। राज्य में 12 दिन पहले मानसून आने की जानकारी के बाद किसानों ने बुवाई की शुरुआत कर दी थी। हालांकि, कुछ दिनों की बारिश के बाद फिर धूप खिल गई। बारिश नहीं होने से किसानों को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड रहा है। कपास और सोयाबीन की फसल के लिए पानी की जरूरत होती है, लेकिन आधा मृग नक्षत्र बीत जानें के बावजूद बारिश नहीं हुई है जिससे किसानों के माथों पर चिंता की लकीरें आ गई हैं।

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