Winter Session 2022: अधिवेशन के नाम पर फिजूलखर्ची, लोक निर्माण विभाग के निविदाओं पर उठ रहे सवाल

नागपुर: उपराजधानी में दो साल बाद शीतकालीन सत्र (Winter Session 2022) का आयोजन होने वाला है। इसी को देखते हुए लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) ने मंत्रियों, विधायकों के आवास में थोड़ी मरम्मत करने के लिए दो करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है। पीडब्लूडी (PWD) के इस निविदाओं पर अब सवाल उठने लगा है। प्रश्न पूछा जा रहा है कि, आखिर कुछ दिनों के अधिवेशन के लिए इतना खर्च क्यों?
यहां होने वाला है खर्च
विधायक आवास में कैंटीन पर करीब 25 लाख रुपये खर्च करने की योजना है। इसी तरह विधायक आवास भवन नंबर एक और दो की पेंटिंग पर 42 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। मुख्य अभियंता कार्यालय में अस्थाई कार्यालय की मरम्मत पर 17 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके बाद यह सवाल उठाया जा रहा है कि, दो सप्ताह के सम्मेलन के लिए इतना खर्च कितना वाजिब है?
हर साल होती है सफाई
दिसंबर में विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आयोजित किया जाता है। दो साल तक यहां कोरोना महामारी के कारण ऐसा नहीं हो सका। लेकिन इस बार यह आयोजित होने वाला है। इस दौरान अधिवेशन के अवसर पर विधायक निवास, रवि भवन, जहां मंत्रियों के बंगले स्थित हैं, नाग भवन, जहां राज्य के मंत्रियों को ठहराया जाता है, सचिवालय और अन्य सरकारी भवनों का जीर्णोद्धार किया जाता है। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर पिछले महीने सत्र की तैयारियों का जायजा लेने नागपुर आए थे। उन्होंने भवन के रख-रखाव व मरम्मत के निर्देश दिए थे। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का दावा है कि ये काम उसी के मुताबिक किए जा रहे हैं।
फडणवीस ने खर्चों को कम करने का किया था प्रयास
2014 में जब वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने अत्यधिक खर्च पर अंकुश लगाने की कोशिश की थी। अब वे फिर से सत्ता में हैं। लेकिन लोक निर्माण विभाग द्वारा अधिवेशन के अवसर पर जारी निविदाओं से स्पष्ट है कि सरकार इस फिजूलखर्ची पर ध्यान नहीं दे रही है।लोक निर्माण विभाग नंबर 1 ने भवन रखरखाव मरम्मत पर लाखों रुपये खर्च करने की योजना बनाई है।
होटलों में रहते हैं अधिकारी और विधायक
जब-जब विधानसभा का सत्र होता तो इसके पहले इसी तरह खर्च भवनों के रखरखाव पर किया जाता है। जिससे मंत्री और विधायक इनमें रह सके। लेकिन हकीकत यह है कि, जितने भी विधायक है सब के सब शहर के नामी-गिरामी होटलों में ठहरते हैं। वहीं लाखों खर्च कर किये मरम्मत भवनों में विधायकों के कार्यकर्ता रुकते हैं। वहीं पिछले कुछ साल में यह भी दिखना शुरू हो गया है कि, अब विधायकों के साथ साथ सरकारी अधिकारी भी निजी होटलों में रुकते हैं।

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