जीरो माइल मेट्रो टनल परियोजना: उच्च न्यायालय ने लिया स्वत: संज्ञान, अदालत ने महा मेट्रो से अनुमतियों और सुरक्षा मानकों की मांगी जानकारी
नागपुर: नागपुर में प्रस्तावित भूमिगत मेट्रो टनल परियोजना को लेकर न्यायालय ने सुरक्षा संबंधी सभी संभावित खतरों का स्वतः संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने संबंधित विभागों से आवश्यक अनुमतियों और सुरक्षा मानकों की पूरी जानकारी मांगी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परियोजना राष्ट्रीय सुरक्षा या नागरिक सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार का जोखिम न पैदा करे।
नागपुर में ज़ीरो माइल मेट्रो टनल परियोजना को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीर सुरक्षा चिंताओं के बीच स्वतः संज्ञान लिया है। इस परियोजना के लिए पहले से ही बाम्बे हाईकोर्ट की निगरानी में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि महा-मेट्रो ने सुरक्षा विभाग से आवश्यक निर्माण अनुमति नहीं ली है।
जानकारी के अनुसार, इस परियोजना के लिए कुल 13 विभागों से मंजूरी अनिवार्य है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को यह भी बताया कि यदि सुरक्षा विभाग की मंजूरी के बिना टनल का निर्माण किया गया, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा और नागपुर शहर की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
न्यायमूर्ति एड. कुलदीप महलले की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में उच्च न्यायालय ने महा-मेट्रो से स्पष्ट किया कि कौन-कौन से विभागों से अनुमति प्राप्त की गई है और किन विभागों से अभी अनुमति शेष है। कोर्ट ने परियोजना की उपयोगिता और सुरक्षा मानकों पर भी कड़ी नजर रखने की बात कही।
सुनवाई में अदालत ने निर्देश दिया कि महा-मेट्रो अगली सुनवाई तक सभी अनुमतियों का पूरा ब्यौरा अदालत में प्रस्तुत करे। इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को निर्धारित की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह परियोजना नागपुर के सार्वजनिक परिवहन ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, लेकिन सुरक्षा मानकों और अनुमति प्रक्रियाओं की अनुपालना के बिना यह शहर के लिए जोखिम भी बन सकती है।
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