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सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट से चुनाव कराने की याचिका को किया खारिज, कहा - आप जीते तो ईवीएम ठीक, हारे तो छेड़छाड़


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 26 नवंबर को भारत में भौतिक बैलट पेपर से मतदान कराने की मांग करने वाले यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि “अगर आप जीतते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती, जब आप हारते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ होती है।” न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने यह मौखिक टिप्पणी याचिकाकर्ता के.ए. पॉल द्वारा दायर याचिका को खारिज करने से पहले की। पॉल ने मतपत्रों के प्रयोग पर वापस लौटने के लिए न्यायिक आदेश की मांग की थी।

कोर्ट ने कहा, “ऐसा होता है कि अगर आप चुनाव जीतते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती। जब आप चुनाव हारते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ होती है। जब चंद्रबाबू नायडू हारे तो उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है। अब, इस बार जगन मोहन रेड्डी हारे तो उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है।”

सुनवाई के दौरान जस्टिस नाथ ने डॉ पॉल से पूछा कि क्या वह न्यायालय को राजनीतिक अखाड़े में तब्दील करना चाहते हैं। पॉल ने कहा कि वह न्यायालय में कोई राजनीति नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों की उनकी विदेश यात्राओं से पता चला है कि दुनिया भर के लोकतंत्रों में मतपत्र प्रणाली का पालन किया जा रहा है। उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि अदालत संविधान दिवस पर उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

डॉ पॉल ने कहा कि भारत के चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह चुनाव के दौरान दान, धन, शराब बांटने वाले उम्मीदवारों को कम से कम पांच साल के लिए अयोग्य घोषित करे। पॉल ने कहा कि भ्रष्टाचार समानता, कानून की उचित प्रक्रिया और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

अप्रैल 2024 में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में मतदान की ईवीएम प्रणाली को बरकरार रखा था, लेकिन मतपत्र प्रणाली को बहाल करने से इनकार कर दिया था।