हिमाचल प्रदेश मंत्रिपरिषद विस्तार: सात मंत्रियों ने शपथ ली

शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चार सप्ताह के इंतजार के बाद रविवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया तथा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह सहित सात मंत्रियों को इसमें शामिल किया गया। इन सात मंत्रियों के शामिल होने के साथ मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है। राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने 11 दिसंबर को शपथ ली थी तथा मंत्रिपरिषद का विस्तार इसके 28 दिन बाद हुआ है।
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने राजभवन में एक सादे समारोह में नवनियुक्त मंत्रियों को शपथ दिलाई। ऐसा प्रतीत होता है कि मंत्रिपरिषद के गठन में प्रतिभा सिंह नीत खेमे को शांत करने की कोशिश की गई हे और पुत्र विक्रमादित्य सिंह को मंत्री बनाया गया है। सिंह शिमला (ग्रामीण) से दूसरी बार विधायक हैं। नए मंत्रियों में सोलन से तीन बार के विधायक एवं पूर्व मंत्री धनीराम शांडिल; पूर्व मंत्री एवं कांगड़ा जिले में जवाली से छह बार के विधायक चंदर कुमार और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष एवं जनजातीय किन्नौर जिले से पांच बार के विधायक जगत सिंह नेगी शामिल हैं। इनके अलावा चार बार के विधायक रोहित ठाकुर, तीन बार के विधायक अनिरुद्ध सिंह और दो बार के विधायक विक्रमादित्य सिंह को भी मंत्रिपरिषद में जगह मिली है जो क्रमश: जुब्बल-कोटखाई, कसुम्पटी और शिमला (ग्रामीण) से विधायक हैं।
सात विधायकों वाले शिमला जिले को तीन मंत्रियों और एक मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) के साथ मंत्रिपरिषद में बड़ा हिस्सा दिया गया है, जबकि बिलासपुर, मंडी तथा लाहौल और स्पीति को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। विधानसभा उपाध्यक्ष के पद के अलावा तीन पद अब भी खाली हैं। राज्य मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की अधिकतम संख्या 12 से अधिक नहीं हो सकती। मुख्यमंत्री सुक्खू ने छह मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) को भी नियुक्त किया जिन्हें मंत्रियों के समान सुविधाएं प्राप्त हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार मंत्रिमंडल विस्तार में विभिन्न क्षेत्रों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने में विफल रही है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर ने छह मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्ति पर भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इससे राज्य के खजाने पर करोड़ों रुपये का बोझ पड़ेगा। ठाकुर ने यहां एक बयान में कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा की गई 13 नियुक्तियों में से आठ विधायकों को शिमला संसदीय क्षेत्र से नियुक्त किया गया है जबकि शेष तीन संसदीय क्षेत्रों को पर्याप्त हिस्सा नहीं दिया गया है।
मंत्रिपरिषद में पांच राजपूत, एक ब्राह्मण और अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणियों से एक-एक सदस्य शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि स्वच्छ छवि वाले विधायकों को योग्यता के आधार पर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है और जो जिले छूट गए हैं उन्हें आने वाले समय में प्रतिनिधित्व मिलेगा। नियुक्त किए गए सीपीएस में कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, शिमला जिले के रोहरू से मोहन लाल बरागटा, सोलन जिले के दून से राम कुमार चौधरी, पालमपुर से आशीष बुटेल और कांगड़ा जिले के बैजनाथ से किशोरी लाल और सोलन जिले के अरकी से संजय अवस्थी शामिल हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार इन नियुक्तियों में प्रतिद्वंद्वी गुटों के दावों को संतुलित करने का प्रयास किया गया है लेकिन जातीय एवं क्षेत्रीय असंतुलन अब भी मौजूद हैं। इस बीच, मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उनके समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ आयी और उन लोगों ने राजभवन में प्रवेश करने का प्रयास किया। पुलिस को उन सभी पर काबू पाने के लिए मशक्कत करनी पड़ी और इस क्रम में दो दरवाजों के कांच भी टूट गए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने पारंपरिक संगीत पर राजभवन के बाहर नृत्य किया। राज्यपाल के आधिकारिक आवास तक जाने वाली सारी सड़कें वाहनों और पदयात्रियों से भरी थीं। शिमला के निवासी खास तौर से खुश थे क्योंकि तीन नये मंत्री उनके जिले से हैं। बड़ी संख्या में समर्थक नये मंत्रियों के पीछे-पीछे , नारे लगाते हुए राज्य सचिवालय तक गए।

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