उद्धव बालासाहेब ठाकरे के विचार कायम रखेंगे या राहुल गांधी के पदचिन्हों पर चलेंगे?, देवेंद्र फडणवीस ने वक्फ बिल पर बोला हमला

मुंबई: देश में वक्फ बिल (Waqf Bill) को लेकर घमासान मचा हुआ है। सत्तापक्ष और विपक्ष लगातार आमने-सामने हैं। इसी बीच राज्य दो अप्रैल को लोकसभा में वक्फ बिल पेश किया जाएगा। इसी बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने वक्फ बिल को लेकर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) पर निशाना साधा है। इसी के साथ फडणवीस ने उद्धव से बिल पर समर्थन को लेकर सवाल भी पूछा कि, क्या वह सदन के अंदर बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) के विचारों का पालन करेंगे?
फडणवीस ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर फडणवीस ने लिखा, "वक्फ संशोधन विधेयक कल संसद में होगा! देखते हैं कि क्या उद्धव ठाकरे हिंदू हृदय सम्राट आदरणीय शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के विचारों को कायम रखेंगे या राहुल गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए तुष्टीकरण जारी रखेंगे?"
वक्फ कानून क्या है?
वक्फ को विनियमित करने वाला पहला कानून ब्रिटिश शासन के दौरान 1923 में बनाया गया था। इसे 'मुस्लिम वक्फ अधिनियम-1923' नाम दिया गया। स्वतंत्र भारत में पहला वक्फ अधिनियम 1954 में लागू किया गया था। उस समय केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की गई थी। उस समय वक्फ बोर्ड की शक्तियां सीमित थीं। हालाँकि, 1995 में नरसिम्हा राव सरकार ने 1954 के अधिनियम को निरस्त कर दिया और एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया, जिसने वक्फ बोर्ड को व्यापक अधिकार प्रदान किये। वक्फ बोर्ड अधिनियम-1995 के अनुसार, यदि कोई संपत्ति पवित्र, धार्मिक, बिना किसी उद्देश्य के मानी जाती है, तो वह वक्फ संपत्ति है।
यदि वक्फ बोर्ड किसी भूमि या संपत्ति पर दावा करता है तो उसे भूमि मालिक को छोड़ना होगा। वह इसके खिलाफ अदालत नहीं जा सकते। आपको वक्फ अपीलीय न्यायाधिकरण में जाना होगा। उनका निर्णय अंतिम है और उसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। 1954 के नियमों के अनुसार, वक्फ बोर्ड किसी निजी भूमि पर दावा नहीं कर सकता। हालाँकि, यह निर्धारित करने के लिए कि यह भूमि निजी है या सार्वजनिक, भूस्वामी को स्वयं दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

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