महायुति में नहीं सब ठीक, भंडारा में अपनों ने ही फंसाया नरेंद्र भोंडेकर का गणित
भंडारा: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस कहते हुए सुनाई देते हैं कि, भाजपा शिवसेना का गठबंधन प्राकृतिक है। सालों से हम साथ है और आगे भी रहेंगे। दोनों पार्टियों को जानने वाले भी इसका समर्थन करते थे, लेकिन वर्तमान में दोनों दलों के बीच सब सही नहीं है। बड़े नेता को साथ दिखाई दे रहे हैं लेकिन जमीन पर कार्यकर्ताओं में दूरी बहुत बढ़ गई है। स्थिति ऐसी हो गई है कि, कार्यकर्ता या क्षेत्र के नेता एक दूसरे के कार्यक्रम में जाना तक छोड़ दिया है। पूर्वी विदर्भ की भंडारा विधानसभा सीट पर इसका सबसे ज्यादा असर दिखा रहा है। जिसके कारण वर्तमान विधायक नरेंद्र भोंडेकर के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है।
भंडारा विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में नरेंद्र भोंडेकर ने जीत हासिल की थी। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उन्हें जीत मिली थी। हालांकि, इसके बाद वह एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गए। तब से वह लागतार साथ है।
भंडारा विधानसभा महायुति में पहले भाजपा कोटे में शामिल थी। हालांकि, 2009 में यह शिवसेना के पास गई और नरेंद्र भोंडेकर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। हालांकि, 2014 में जब शिवसेना भाजपा का गठबंधन टूटा तो भाजपा ने अपना उम्मीदवार उतारा जिन्हें चुनाव में जीत मिली। हालांकि, 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार उतरे भौंडेकर ने दोबारा यह सीट जीत ली।
2019 से शुरु हुआ विवाद
2019 के विधानसभा चुनाव में राज्य में दोनो दलों ने साथ चुनाव लडा लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है की शिवसेना नेताओं और कार्यकर्ताओं। ने गठबंधन धर्म नहीं निभाया और नरेंद्र भोंडेकर के लिए काम किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा कार्यकर्ताओं और सुनील मेंढे के समर्थकों ने शिवसेना और भोंडेकर पर युति धर्म का पालन नहीं करने का आरोप लगाया। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि, उन्होंने जी हमरे साथ किया उसका भुगतान उन्हें विधानसभा चुनाव में करना पड़ेगा।
भोंडेकर समर्थकों ने भी दिया भाजपा को जवाब
भाजपा नेताओं ने आरोप पर भोंडेकर समर्थकों ने भी जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि, हमने भाजपा के लिए खूब मेहनत की लेकिन वह हमें दबाना चाहते हैं। 2014, 2019 का लोकसभा चुनाव हो शिवसेना के सभी नेताओं ने अपनी पुरी ताकत लगाकर काम किया। लेकिन जब हमारी बारी आती है भाजपा हमरे नेता के खिलाफ काम करती है। गठबंधन धर्म हमने नहीं बल्की भाजपा ने नही निभाया। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में युति धर्म के आरोप जवाब देते हुए कहा कि, गोंदिया भंडारा लोकसभा सीट हमारे कारण नहीं बल्कि भाजपा अपने नेताओं के कारण हारी है। उनके नेताओं में शूरू गुटबाजी हार का कारण है। इसलिए पहले पहना घर ठीक करें फिर दूसरे पर आरोप लगाए ऐसी सलाह भी दी।
राज्य में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में दोनों दलों के बीच शूरू इस लड़ाई का असर जमीन पर भी दिखाई देने वाले हैं। दोनो पार्टियों के नेता एक दूसरे के खिलाफ काम करते हुए दिखाई दे रहे हैं। यहीं नहीं भाजपा नेताओं ने तो एनसीपी के साथ मिलकर काम करने की बात का ऐलान कर दिया है। इसी के साथ यह भी कहा दिया है कि, भाजपा नेता को टिकट नही मिला तो निर्दलीय प्रत्याशी उतारेंगे और उसके लिए काम करेंगे। भाजपा के इस ऐलान से एक तरफ से जहां नरेंद्र भोंडेकर की मुश्किलें बढ़ गई है।
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