logo_banner
Breaking
  • ⁕ मानसून में विदर्भ के किसानों को लगा बड़ा झटका; लगातार बारिश से एक लाख हेक्टेयर फसल हुई बर्बाद, किसानों की सरकार से स्पेशल पैकेज की मांग ⁕
  • ⁕ मानसून के दौरान चिखलदरा में टूटा पर्यटकों का रिकॉर्ड, चार महीने में पहुंचे ढाई लाख पर्यटक, नगर परिषद को हुई 56 लाख की आया ⁕
  • ⁕ मनकापुर फ्लाईओवर पर बड़ा हादसा, स्कुल वैन और बस में आमने-सामने जोरदार टक्कर; हादसे में आठ बच्चे घायल, एक की हालत गभीर ⁕
  • ⁕ Akola: चलती कार में लगी आग, कोई हताहत नहीं ⁕
  • ⁕ Akola: पातुर से अगिखेड़ खानापुर मार्ग की हालत ख़राब, नागरिकों ने किया रास्ता रोको आंदोलन ⁕
  • ⁕ एक हफ्ते बाद नागपुर में बरसे बादल, नागरिकों को मिली उमस से राहत ⁕
  • ⁕ Amravati: गणेशोत्सव मंडलों के बीच विवाद में चाकूबाजी; एक घायल, आरोपी फरार ⁕
  • ⁕ मेलघाट में बारू बांध टूटा; सड़क पर पानी बहने से यातायात बाधित ⁕
  • ⁕ अकोला में चोर ने निर्गुण नदी के पुल से चुराए लिए 105 फाटक, आरोपी की हो रही तलाश ⁕
  • ⁕ पूर्व विदर्भ में अगले 24 घंटे में होगी भारी बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट; प्रशासन ने की नागरिकों से सतर्क रहने की अपील ⁕
Chandrapur

Chandrapur: महाराष्ट्र-तेलंगाना से लगे 14 गांव महाराष्ट्र में होंगे शामिल, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दी जानकारी


चंद्रपुर: चंद्रपुर जिले (Chandrapur District) के सीमावर्ती 14 गांवों को महाराष्ट्र में शामिल किया जाएगा। इस संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। वर्षों से लंबित इन सीमावर्ती गांवों के मुद्दे को जल्द ही सुलझाया जाएगा, ऐसी जानकारी सामने आई है।

राजुरा और जिवती तहसीलों से जुड़े इस विवाद को लेकर राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भी तात्कालिक आदेश जारी किए हैं। विधान भवन में राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे के कार्यालय में हुई बैठक में कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इस बैठक में विधायक देवराव भोंगळे, जिवती तालुका के 14 गांवों के ग्रामवासी, चंद्रपुर जिलाधिकारी विनय गौड़ा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

विवादित गांवों की सूची में मुकादमगुड़ा, कोठा, परमडोली, लेंडीगुड़ा, शंकरलोधी, पद्मापती, अंतापुर, येसापुर, भोलापठार, महाराजगुड़ा, इंदिरानगर, पळसगुड़ा, लेंडीझळा समेत कुछ अन्य गांव शामिल हैं। इन गांवों की कोई स्पष्ट प्रशासनिक पहचान नहीं है। कभी महाराष्ट्र की योजनाओं का लाभ मिलता है, तो कभी तेलंगाना की सुविधाओं पर निर्भर रहना पड़ता है।

जिवती तालुका के इन 14 गांवों का सीमाविवाद कई वर्षों से लंबित है। मुकादमगुड़ा, परमडोली, महाराजगुड़ा, अंतापुर, येसापुर, पळसगुड़ा जैसे 8 राजस्व गांव और 6 छोटे बस्तियां (गुडे-पाडे) इस सूची में शामिल हैं।

1990 के दशक में तत्कालीन आंध्रप्रदेश सरकार ने इन गांवों पर दावा किया था, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला महाराष्ट्र के पक्ष में सुनाया, फिर भी यह गांव पूरी तरह महाराष्ट्र में समाहित नहीं हो सके हैं।

इस क्षेत्र में दोनों राज्यों की पंचायतें, आंगनवाड़ियां, स्कूलें, अस्पताल और योजनाएं मौजूद हैं। 1997 के बाद आंध्रप्रदेश (अब तेलंगाना) सरकार ने इन गांवों के लोगों को आकर्षित करने के लिए कई योजनाएं और विकास कार्य शुरू किए, जिससे स्थानीय लोगों का झुकाव तेलंगाना की ओर बढ़ गया है।इस इलाके में बंजारा समाज की बहुलता है, जिन्हें तेलंगाना में अनुसूचित जनजाति की सुविधाएं मिलती हैं, इसलिए वे तेलंगाना के पक्ष में हैं। वहीं, अन्य जातियों का समुदाय महाराष्ट्र में शामिल होने का समर्थन करता है।

गौरतलब है कि, ये 14 गांव विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र के राजुरा और तेलंगाना के आसिफाबाद निर्वाचन क्षेत्रों में वोट डालते हैं, जबकि लोकसभा के लिए चंद्रपुर और आदिलाबाद क्षेत्रों के तहत मतदान करते हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि इस भ्रम की स्थिति को समाप्त किया जाए और इन गांवों को पूरी तरह महाराष्ट्र में शामिल किया जाए।