Chandrapur: भाजपा कार्यकर्ताओं में डर और चिंता; मनपा चुनाव को लेकर मुनगंटीवार और जोरगेवार की स्वतंत्र बैठकें, पूर्व पार्षदों में बढ़ी बेचैनी

- पवन झबाडे
चंद्रपुर: भाजपा के दो दिग्गज नेता विधायक सुधीर मुनगंटीवार और विधायक किशोर जोरगेवार के बीच चल रहा शीतयुद्ध अब संगठन के कार्यकर्ताओं और पूर्व नगरसेवकों पर सीधा असर दिखाने लगा है। लंबे समय से चंद्रपुर भाजपा में संगठनात्मक वर्चस्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के पास था, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में जब किशोर जोरगेवार ने पार्टी में एंट्री की, तभी से यह सत्ता संतुलन डगमगाने लगा।दोनों नेता सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे के खिलाफ विरोधी भूमिका निभाते नजर आते हैं। चाहे वह शासकीय बैठक हो या फिर पार्टी का कार्यक्रम दोनों अपने-अपने समर्थक गुटों के साथ अलग-अलग बैठकें लेते हैं। यही कारण है कि अब कार्यकर्ता भ्रम की स्थिति में फंसे हुए दिखाई दे रहे हैं।
बीते दिन चंद्रपुर नगर निगम चुनाव को लेकर भी यही तस्वीर देखने को मिल रही है। दोनों नेताओं ने अपने-अपने कार्यालयों से पूर्व नगरसेवकों और पदाधिकारियों को बैठकों के लिए अलग-अलग आमंत्रण भेजे। इन बैठकों को लेकर कार्यकर्ताओं में जबरदस्त असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई किस गुट का समर्थन करें? किस बैठक में जाएं? और सबसे बड़ा डर आगामी चुनावों में टिकट किस गुट से मिलेगा? इस अंदरूनी खींचतान से कार्यकर्ता डरे हुए हैं कि कहीं एक नेता को खुश करने के चक्कर में दूसरा नाराज न हो जाए। यही कारण रहा कि कई पूर्व नगरसेवकों ने दोनों ही बैठकों में उपस्थित रहकर ‘संतुलन’ साधने की कोशिश की।
जानकारी के अनुसार, विधायक जोरगेवार की बैठक में लगभग 25 से 30 पूर्व नगरसेवकों की उपस्थिति रही, जबकि विधायक मुनगंटीवार की बैठक में 15 से 20 पूर्व नगरसेवक शामिल हुए। बड़ी संख्या में ऐसे भी चेहरे थे, जिन्होंने दोनों ही बैठकें अटेंड कर यह संकेत देने की कोशिश की कि वे दोनों खेमों के ‘वफादार’ हैं। हालांकि, इस टकराव ने कार्यकर्ताओं के मन में असुरक्षा और अनिश्चितता की भावना भर दी है। पार्टी में अंदरूनी संघर्ष का यह चेहरा आने वाले नगर निकाय चुनावों में भाजपा के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है।

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