सीपी राधाकृष्णन बने देश के 17वे उपराष्ट्रपति, उपचुनाव में 452 वोट किये हासिल; बी सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराया

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए उपचुनाव (Vice-President By-Poll) के नतीजे आज घोषित कर दिए गए। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन (C.P. Radhakrishnan) ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए देश के 17वें उपराष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया। चुनाव में राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के कुल 452 वोट मिले, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी (B. Sudarshan Reddy) केवल 300 वोट ही हासिल कर पाए। इस तरह राधाकृष्णन ने अपने प्रतिद्वंदी को 152 वोटों के अंतर से पराजित किया। परिणाम आने के बाद एनडीए खेमे में जश्न का माहौल देखा गया।
ज्ञात हो कि, बीते महीने तत्कालीन उपराष्टपति रहे जगदीप धनगड (Jagdeep Dhankar) ने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद उपराष्ट्रपति पद पर उपचुनाव होने की स्तिथि बन गई। एनडीए ने जहां महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया। वहीं विपक्षी इंडी गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना प्रत्याशी बनाया।
767 सांसदों ने किया मतदान
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 9 सितंबर की सुबह संसद भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग हुई. लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर भारत की संसद में कुल 788 सांसद होते हैं. वर्तमान दोनों सदनों को मिलाकर 7 सीटें रिक्त हैं. इस तरह कुल 781 सांसदों को वोट करना था, जिसमें से 14 वोटिंग में शामिल नहीं हुए। इनमें बीआरएस के 4, बीजेडी के 7, अकाली दल के 3 सांसद ने वोट नहीं डाला। कुल 767 सांसदों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। एनडीए के कुल 427 सांसदो ने वोट किया।
14 लोगों ने किया क्रॉस वोटिंग!
उपचुनाव द्वारा जारी आकड़ो के अनुसार, राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, वहीं रेड्डी ने 300 वोट हासिल किये। वहीं 15 वोट ख़ारिज हुए। आंकड़ों की माने तो भाजपा के पास 427 वोट थे, वहीं जगन रेड्डी की पार्टी के 11 सांसदों ने एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में वोट किया। जिसके बाद आंकड़ा 438 बन गया। यानी राधाकृष्णन को 14 वोट मिले वह विपक्षी सांसदों द्वारा दिए गए हैं। इसके तहत विपक्ष के 14 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की।
सीपी राधाकृष्णन का राजनितिक करियर?
सी. पी. राधाकृष्णन का जन्म 4 मई 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में हुआ। वे छात्र जीवन में ही टेबल टेनिस चैंपियन रहे और वाणिज्य में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। युवा अवस्था में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़कर राजनीति में कदम रखा और 1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए। राजनीतिक जीवन में उन्होंने कोयंबत्तूर से 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव जीते और संसद में कपड़ा उद्योग, वित्त और सार्वजनिक उपक्रमों से जुड़ी समितियों में सक्रिय भूमिका निभाई। 2003 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया।
संगठनात्मक राजनीति में वे 2004–2007 तक तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष रहे और इस दौरान लगभग 19,000 किलोमीटर की ‘रथ यात्रा’ का आयोजन कर जनजागरण किया। इसके अलावा वे केरल भाजपा के प्रभारी भी रह चुके हैं। प्रशासनिक क्षेत्र में भी उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा। 2016–2020 तक वे कोयर बोर्ड के अध्यक्ष रहे, और इसके बाद फरवरी 2023 में झारखंड के राज्यपाल बने। कुछ समय के लिए उन्होंने तेलंगाना और पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला। 31 जुलाई 2024 से वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं।

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