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'भारत कोई धर्मशाला नहीं', अमित शाह बोले- विकास के लिए सभी का स्वागत, खतरा पैदा करने वालों पर होगी कार्रवाई


नई दिल्ली: भारतीय व्यवस्था (Indian Economy) में योगदान देना चाहते हैं, उनका स्वागत किया जाएगा। लेकिन अगर कोई भारत (Bharat) की सुरक्षा के लिए खातर पैदा करता है उसपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भारत कोई धर्मशाला नहीं है। चाहे वो रोहिंग्या (Rohingya) हों या बांग्लादेशी (Bangladeshi), वे भारत की शांति को भंग करते हैं। उन पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। गुरुवार को संसद से ‘इमिग्रेशन सुधार विधेयक 2025" पास हो गया। जहां इसपर चर्चा के दौरान अमित शाह (Amit Shah) ने यह बात कही। 

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, "जो लोग भारतीय व्यवस्था में योगदान देना चाहते हैं, उनका स्वागत किया जाएगा। लेकिन चाहे वो रोहिंग्या हों या बांग्लादेशी, वे भारत की शांति को भंग करते हैं। उन पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। यह विधेयक देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण विधेयक होगा। यह नया कानून तीन पुराने कानूनों को निष्क्रिय कर देगा। उन तीन पुराने कानूनों का मसौदा ब्रिटिश संसद में तैयार किया गया था। वे कानून ब्रिटिशों के हितों की रक्षा के लिए थे। अब जो नया कानून आएगा, वह विकसित भारत का परिचय देगा।" 

गृहमंत्री ने आगे कहा, "देश में कौन आया? कब आया? इसने कितना समय लिया? उसके आने का उद्देश्य क्या है? इन सभी सवालों के जवाब नये कानून में मिलेंगे। देश में प्रवेश करने वाले प्रत्येक विदेशी नागरिक का डाटाबेस बनाया जाएगा। यह कानून जांच एजेंसियों को किसी व्यक्ति को भारत आने के बाद नियमों का पालन नहीं करने पर गिरफ्तार करने की शक्ति देगा।"

देश में पारसी अभी भी सुरक्षित 
अमित शाह ने कहा कि, "भारत में शरणार्थियों को हमेशा सम्मान दिया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि पारसियों ने भारत में शरण ली थी। उसके बाद भी वह देश में सुरक्षित है। दुनिया में अगर कोई ऐसी जगह है जहां सबसे छोटी आबादी वाले इस समुदाय का सम्मान किया जाता है तो वह भारत है। सीएए के कारण पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का सामना करने वाले अल्पसंख्यक भी भारत आ रहे हैं।

नये कानून का क्या महत्व है?
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, "पुराने कानून निष्क्रिय हो जाएंगे। साथ ही, आज की जरूरतों के अनुसार नए कानून भी लाए जाएंगे। नये कानून भारत की व्यवस्था को सुरक्षा प्रदान करेंगे। ये कानून तीन साल के मंथन के बाद तैयार किये गये हैं। विपक्ष को इस कानून का विरोध नहीं करना चाहिए। ये कानून देश की सुरक्षा और आर्थिक प्रगति के लिए आवश्यक हैं। यह देश की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मान्यता दिलाने, हमारे विश्वविद्यालयों का वैश्वीकरण करने तथा 2047 तक इस देश को विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधेयक है।"