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झुड़पी जंगल: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को बताया ऐतिहासिक, कहा- 45 साल के संघर्ष में आज मिली राहत


नागपुर: सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार को ऐतिहासिक निर्णय देते हुए नागपुर सहित विदर्भ के में मौजूद झुड़पी जंगल भूमि मामले में ऐतहासिक निर्णय देते हुए 86 हजार से ज्यादा हेक्टर भूमि को वन क्षेत्र घोषित कर दिया है। यही नहीं अदालत ने 1980 के बाद आवंटित भूमि को निरस्त करते हुए उसपर किये निर्माण को अतिक्रमण बताया और दो साल के अंदर उसे हटाने का आदेश राज्य सरकार को दिया। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्वागत किया और महत्वपूर्ण निर्णय बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि, "पिछले 45 साल से जिसको लेकर संघर्ष किया जा रहा था आज उसपर बड़ी राहत मिली है। इसी के साथ मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि, "विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन कायम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।"

45 वर्षों के संघर्ष को मिली राहत
गुरुवार को नागपुर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा, "मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय के माध्यम से पिछले 45 वर्षों से चले आ रहे विदर्भ के संघर्ष को राहत पहुंचाने का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किया है।"

उन्होंने आगे कहा, "जब महाराष्ट्र बना और विदर्भ मध्य भारत या सीपी और बरार से अलग हुआ तो इसे महाराष्ट्र में शामिल कर लिया गया। उस समय के राजस्व अभिलेखों में ये सारी जमीनें झाड़ी और जंगल के रूप में लिखी गई थीं, मध्य प्रदेश ने अपना अभिलेख दुरुस्त किया, महाराष्ट्र ने इसे झाड़ी और जंगल में बदल दिया और 1980 में पारित कानून के अनुसार इसे जंगल का दर्जा मिल गया और विदर्भ का विकास पूरी तरह से रुक गया।"

इस भूमि पर शहर के कई प्रमुख प्रतिष्ठान 

मुख्यमंत्री ने कहा, "नागपुर रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग, हाईकोर्ट और कई अन्य इमारतें, अगर आप पुराने रिकॉर्ड देखें तो, झाड़ीदार जंगल की जमीन पर स्थित हैं, इसलिए 45 वर्षों से मांग की जा रही है कि कुछ राहत दी जानी चाहिए। विदर्भ में सिंचाई परियोजनाएं और विकास परियोजनाएं काफी हद तक पिछड़ी हुई थीं। आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि 1996 से पहले दी गई जमीनों को एक तरह की छूट दी गई है।"

उन्होंने आगे कहा, "यह प्रक्रिया 1996 से चली आ रही है, राज्य सरकार केंद्र सरकार से उन जमीनों की मांग कर सकती है और महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारी मांग है कि झुग्गियों को मालिकाना हक देने के लिए एक अपवाद दिया जाए, जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी मंजूरी दे दी है। अगर हम नागपुर के बारे में सोचें, एकात्मना नगर, रमाबाई आंबेडकर नगर, वाड़ी का आंबेडकर नगर, तकिया जैसे क्षेत्र झुड़पी जंगल क्षेत्र में आतें हैं। इस कारण इस क्षेत्र में कई झुग्गी-झोपड़ियों को मालिकाना हक नहीं मिलता।"

ग्रामीण क्षेत्र को मिलेगा सबसे फायदा

अदालत के निर्णय का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "इसलिए, ग्रामीण क्षेत्रों में भी, ज़रूरत के लिए बनाए गए घरों को नियमित किया जा सकता है, उन्हें लीज़ पर दिया जा सकता है, और इसलिए ये बहुत अच्छा निर्णय है। 2014 से 2019 के दौरान मैं मुख्यमंत्री था। उस समय मैंने एक समिति गठित की थी और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सीईसी का गठन किया था और हमने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उसे लगभग उन्होंने स्वीकार कर लिया है। इसलिए राज्य, विशेषकर विदर्भ को इससे लाभ होगा।"

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया

सीएम ने कहा, "45 साल से वे विदर्भ के सभी नेताओं से इसकी मांग कर रहे थे, उन्हें मंजूरी मिल गई है, मैं सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करता हूं। सुप्रीम कोर्ट ने शेष राशि अपने पास रख ली है, जिसमें से 70 से 80 हजार एकड़ का एक बहुत बड़ा भूभाग भी जंगल बनाने के लिए दे दिया है। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन कायम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।"