अब मराठी में आने वाले पत्रों का जवाब केवल मराठी में ही, केंद्रीय गृह मंत्रालय का बड़ा फैसला

नई दिल्ली/मुंबई: मराठी बनाम हिंदी के मुद्दे पर महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों गरमा गई है। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय अब मराठी में आने वाले पत्रों का जवाब केवल मराठी में ही देगा। यह जानकारी संसदीय राजभाषा समिति की बैठक में समिति के संयोजक सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने दी। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा घोषित इस फैसले को महाराष्ट्र के मराठी लोगों के लिए खुशी की बात माना जा रहा है।
राजभाषा समिति देश में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए काम करती है। यह समिति अन्य भाषाओं को हिंदी की सहयोगी भाषा के रूप में स्थापित करने का प्रयास करती है। वर्तमान में, गृह मंत्रालय में सभी कार्य हिंदी में किए जा रहे हैं। इसके अलावा, यह निर्णय लिया गया है कि अब मराठी में आने वाले पत्रों का उत्तर केवल मराठी में ही दिया जाएगा, और तमिल में आने वाले पत्रों का उत्तर भी तमिल में ही दिया जाएगा, डॉ. दिनेश शर्मा ने मीडिया को बताया।
मराठी भाषियों के लिए बहुत खुशी की खबर: बावनकुले
इस संबंध में, भारतीय जनता पार्टी के नेता मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि यह सभी मराठी भाषियों के लिए बहुत खुशी की खबर है। इस संबंध में उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, 'सभी मराठी भाषियों के लिए यह बहुत अच्छी खबर है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मराठी पत्रों का मराठी में उत्तर देने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित करके मेरी मराठी को पहले ही गौरवान्वित किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की कार्यप्रणाली में इस क्रांतिकारी बदलाव का हर मराठी भाषी सहर्ष स्वागत कर रहा है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भाई का हार्दिक आभार!'
राज्य में महायुति सरकार के लिए राहत
विपक्ष राज्य में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार को मराठी बनाम हिंदी के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस फैसले से महागठबंधन सरकार को भी बड़ी राहत मिली है। विपक्ष जहां फडणवीस सरकार को मराठी विरोधी बताने की कोशिश कर रहा है, वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस फैसले की घोषणा के बाद अब सरकार में बैठे नेताओं को मराठी के मुद्दे पर एक और मुद्दा मिल गया है।

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