हिंदी को लेकर महाराष्ट्र में शुरू हुआ सियासी संग्राम; मुख्यमंत्री ने निर्णय का किया समर्थन, विपक्ष ने मराठी अस्मिता पर बताया हमला

मुंबई: हिंदी भाषा को लेकर तमिलनाडु के बाद महाराष्ट्र की संग्राम छिड़ गया है। नई शिक्षा नीति के तहत राज्य सरकार ने मराठी और अंग्र्रेजी स्कूलों में पांचवी क्लास तक तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी पढ़ना अनिवार्य कर दिया है। राज्य सरकार के निर्णय का विरोध शुरू हो गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और कांग्रेस ने सरकार के निर्णय का विरोध करना शुरू कर दिया है। राज ठाकरे ने निर्णय को हिंदीकरण करने वाला बताया। इसी के साथ यह भी कहा कि, इसे किसी भी सूरत में माना नहीं जायेगा। वहीं कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने निर्णय को अस्मिता पर हमला बताया है।
महायुति सरकार ने राज्य में नई शिक्षा नीति को लागू करने को लेकर अधिसूचना जारी की।सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत राज्य सरकार ने तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी को अनिवार्य कर कर दिया है। 'राज्य स्कूल पाठ्यक्रम रूपरेखा 2024' के अनुसार, मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को मराठी और अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी भी तीसरी भाषा के रूप में पढाई जाएगी। इसी के साथ अन्य माध्यमों के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के लिए 3 भाषाएं - माध्यम भाषा, मराठी और अंग्रेजी - होंगी। यह निर्णय जून में शुरू होने वाले नए शैक्षणिक वर्ष से लागू किया जाएगा। राज्य की स्कूलों में हिंदी पढ़ने के निर्णय का समर्थन किया है। फडणवीस ने कहा, हिंदी देश में संवाद करने के लिए महत्वपूर्ण है। महाराष्ट्र में रहने वालों को मराठी आनी ही चाहिए, लेकिन संवाद के लिए हिंदी भाषा सीखना भी जरूरी है।
हम हिन्दू हैं पर हिंदी नहीं!
राज्य सरकार के निर्णय का सबसे पहले विरोध राज ठाकरे की मनसे ने किया। ठाकरे ने कहा, हम सरकार के हर चीज का 'हिंदीकरण' करने के मौजूदा प्रयासों को इस राज्य में सफल नहीं होने देंगे। हिन्दी राष्ट्रभाषा नहीं है। यह देश की अन्य भाषाओं की तरह एक राज्य भाषा है। ठाकरे ने कहा कि, आपका त्रिभाषी फार्मूला जो भी हो, उसे सरकारी मामलों तक ही सीमित रखें, शिक्षा में न लाएं।
मनसे प्रमुख ने आगे कहा कि, हम हिन्दू हैं पर हिंदी नहीं! यदि आप महाराष्ट्र पर हिंदीकरण थोपने की कोशिश करेंगे तो महाराष्ट्र में संघर्ष जरूर होगा। यही नहीं ठाकरे ने सरकार पर भाषा को आधार बना मराठी और गैर मराठी के बीच टकराव पैदा करने का आरोप लगाया। राज ठाकरे ने कहा कि, भाषा के आधार पर लड़ाकर सरकार आगामी चुनाव में इसका फायदा लेना चाहती है।
सरकार का निर्णय मराठी अस्मिता पर हमला
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने राज्य सरकार के निर्णय को मराठी अस्मिता पर हमला करने वाला बताया है। वडेट्टीवार ने कहा कि, संघीय राज्य के गठन के दौरान भाषा को प्राथमिकता देते हुए राज्यों की मातृभाषा को स्वीकार किया गया। महाराष्ट्र की मातृभाषा मराठी है और अंग्रेजी के साथ-साथ इन दोनों भाषाओं का प्रयोग शिक्षा और प्रशासन में किया जाता है। ऐसी स्थिति में हिंदी को जबरन तीसरी भाषा के रूप में थोपना मराठी के साथ अन्याय है। कांग्रेस नेता ने तीसरी भाषा के चयन को वैकल्पिक करने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि, केंद्र जबरन हिंदी को थोप रही है।
राज्य में कहाँ तक जाएगी लड़ाई
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन हिंदी को लेकर पिछले कई महीने से मोर्चा खोले हुए हैं। हिन्दी को पिछड़ी भाषा बताते हुए स्टालिन केंद्र पर इसे अन्य भाषाई राज्यों में थोपने का आरोप लगा रहे है। यही नहीं स्टालिन ने इसको लेकर इंडी गठबंधन के साथियों के साथ खुलकर विरोध कर रहे हैं। तमिलनाडु के बाद महाराष्ट्र में भी हिंदी को लेकर विरोध शुरू हो गया है। अब देखना होगा की आखिर भाषा की लड़ाई किस स्तर तक जाती है।

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