ओबीसी की इतनी चिंता थी को एकनाथ खड़से को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया?, एनसीपी नेता संजय कुटे ने पूछा सवाल

नागपुर: ओबीसी के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) आमने-सामने है। दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर ओबीसी समाज (OBC Community) के अपमान का आरोप लगा रहे हैं। इसी क्रम में एनसीपी नेता संजय कुटे (Sanjay Kunte) ने भाजपा पर हमला बोला। कुंटे ने सवाल करते हुए पूछा कि, अगर ओबीसी की इतनी ही चिंता थी तो 2014 में फडणवीस (Devendra Fadnavis) की जगह एकनाथ खड़से (Eknath Khadse) को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया?
कुंटे ने प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले से सवाल करते हुए कहा, “भाजपा का ओबीसी प्रेम महज एक राजनीतिक हथकंडा है। जब राज्य में बीजेपी-सेना गठबंधन सत्ता में आया, तो ओबीसी नेता रहे एकनाथ खडसे के मुख्यमंत्री बनने के बजाय देवेंद्र फडणवीस कैसे मुख्यमंत्री बने, कामठी से आप का टिकट क्यों काटा गया, पंकजा मुंडे पर राजनीतिक संकट क्यों है?”
एनसीपी नेता ने कहा, "एनसीपी ने अब तक तीन बार ओबीसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष का पद दिया है। दो बार उपमुख्यमंत्री का पद दिया गया। बीजेपी ने शिंदे गुट के साथ सरकार बनाते वक्त किसी ओबीसी नेता को उपमुख्यमंत्री का पद भी नहीं दिया। उन्होंने आगे कहा कि, विदर्भ में राकांपा के 90 फीसदी जिला अध्यक्ष ओबीसी समुदाय से हैं। इसी के साथ उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि, भाजपा बताए कि कितने केंद्रीय मंत्री ओबीसी हैं?
वोट विभाजन के लिए महाराष्ट्र में बीआरएस
कुंटे ने आरोप लगाया,सर्वे से पता चला है कि राज्य में महाविकास अघाड़ी को प्रचंड बहुमत मिलेगा. इसका झटका बीजेपी को लगा है। इसलिए, जैसे पिछली बार वोट विभाजन के लिए एमआईएम को हैदराबाद से लाया गया था, अब उसी तर्ज पर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को लाया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि बीआरएस किसान आंदोलन में फेल हुए नेताओं का हाथ पकड़कर चालें चलने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह किसानों के बहकावे में नहीं आएगी।

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