Amravati: सीसीआई की कपास खरीद में किसानों का शोषण, किसान नेताओं ने प्रशासन से की शिकायत

अमरावती: जिले की वरुड तहसील में भारतीय कपास निगम CCI द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए की गई कपास खरीद प्रक्रिया सवालों के घेरे में है। किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि इस खरीद में किसानों का बड़े पैमाने पर शोषण किया गया है और इसके लिए सीधे तौर पर सीसीआई के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि इस कथित शोषण के कारण न केवल सरकार का कपास खरीद का उद्देश्य विफल हुआ है, बल्कि किसानों के साथ अन्याय भी हुआ है।
इस मामले में इंसाफ की गुहार लगाते हुए, किसान नेताओं ने भारतीय कपास निगम, अकोला के महाप्रबंधक और अमरावती जिला के सहकारी संस्था के उप-पंजीयक को एक औपचारिक शिकायत सौंपी है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है ताकि किसानों को न्याय मिल सके।
शिकायत में किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि CCI ने वरुड तहसील में कपास खरीदते समय मनमानी की। नियमों के अनुसार, मार्च और अप्रैल 2025 में किसानों से प्रति क्विंटल 34.25 किलो रूई का उतारा अपेक्षित था। हालांकि ढगा स्थित पी. एन. व्हाईट गोल्ड जिनिंग के कपास खरीद केंद्र पर किसानों से प्रति क्विंटल 36 किलो रूई का उतारा लिया गया। इतना ही नहीं जिन किसानों का कपास 36 किलो का उतारा नहीं दे सका, उसे वापस कर दिया गया।
सबसे गंभीर आरोप यह है कि इस खरीद केंद्र पर किसानों से प्रति क्विंटल 2 किलो की छूट जबरदस्ती वसूली गई। किसान नेताओं का कहना है कि सीसीआई के अधिकारियों ने किसानों को ब्लैकमेल किया और धमकी भरे लहजे में कहा कि उनके कपास की गुणवत्ता अच्छी नहीं है, इसलिए उन्हें अनिवार्य रूप से कटौती स्वीकार करनी होगी। इस तरह, किसानों से औसतन 2 किलो प्रति क्विंटल की अवैध छूट ली गई।
आंकड़ों के अनुसार, इस खरीद केंद्र पर लगभग 90 हज़ार क्विंटल कपास खरीदा गया है। किसान नेताओं का कहना है कि इस आंकड़े से ही किसानों के साथ हुई लूट का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि किसानों से कपास की गाड़ी तौलने के नाम पर अवैध रूप से पैसे वसूले गए हैं, जिसे तुरंत वापस किया जाना चाहिए।
किसान नेताओं ने मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच हो और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी मांग की है कि किसानों से जबरदस्ती वसूली गई राशि उन्हें वापस दिलाई जाए और उन्हें न्याय प्रदान किया जाए। यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब किसान पहले से ही विभिन्न कृषि संकटों का सामना कर रहे हैं, और इस तरह के कथित शोषण से उनकी आर्थिक स्थिति और खराब होने की आशंका है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस शिकायत पर क्या कार्रवाई करता है और किसानों को कब तक न्याय मिल पाता है।

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