फिर पानी की कमी से जूझ रहे मेलघाट के गाँव, फिर अस्थायी योजनाओं का स्वांग
अमरावती: गर्मी की तपिश बढ़ते ही मेलघाट में पानी की कमी सिर उठाने लगी है। वहीं बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक पानी के लिए भटकने लगे हैं। मार्च के अंत तक करीब 200 गांवों को पानी की कमी के भीषण संकट से जूझना पड़ेगा और हर साल की तरह इस भी इसके उपायों की तैयारी चल रही है।
मेलघाट के चिखलदरा और धारणी तहसील में लगभग 350 गाँव। कई गांव पहाड़ी ढलानों पर हैं। जिले में सर्वाधिक वर्षा चिखलदरा में होती है। अक्सर सूर्य 80 से 90 दिनों तक दिखाई नहीं देता है। लेकिन इसी तहसील में आदिवासी पाड़ा, टांडा बस्तियों में गर्मियों में पानी की भारी कमी महसूस की जाती है।
यहां के आदिवासियों को पानी के लिए अलग-अलग दिशाओं में भटकना पड़ता है। गर्मियों में रात-रात भर जागकर पानी भरने की भयावह स्थिति देखने को मिलती है। हालाँकि, प्रशासन जल्दबाजी में कदम उठाकर समय बर्बाद करता है। अधिकारी अस्थायी कदम उठाते हैं और स्थिति जस की तस बनी रहती है। मेलघाट के खडीमल, माखला, चुनखड़ी, हातरू, नवलगांव, बिच्छूखेड़ा, सोनापुर, सलीता, सुमिता, पाचडोंगरी, मोथा और विदर्भ का स्वर्ग कहे जाने वाले चिखलदरा शहर सहित कई गांवों में साफ पानी की भारी कमी है।
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