logo_banner
Breaking
  • ⁕ किसानों को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दी खुशखबरी, अब जंगली जानवरों और जलजमाव से हुआ नुकसान भी बीमा में होगा कवर ⁕
  • ⁕ विधायक रवि राणा ने की कांग्रेस की कड़ी आलोचना; कहा - सपकाल को चिखलदरा के बारे में नहीं कोई जानकारी ⁕
  • ⁕ Yavatmal: रेलवे गौण खनिज स्कैम में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को नोटिस, विधानसभा डिप्टी स्पीकर ने पूरी जानकारी के साथ पेश होने का दिया आदेश ⁕
  • ⁕ महायुति को 51 प्रतिशत वोटों के साथ मिलेगा बहुमत, मुंबई में होगी 100 पार की जीत: चंद्रशेखर बावनकुले ⁕
  • ⁕ Nagpur: अजनी में दोस्त ने की दोस्त की हत्या, शव जलाकर सबूत मिटाने का किया प्रयास ⁕
  • ⁕ Gondia: कलयुग की हत्यारिन माँ! मामूली स्वार्थ के लिए 20 दिन के बच्चे को नदी में फेंक ली उसकी जान ⁕
  • ⁕ आखिरकार BHEL के प्रोजेक्ट से प्रभावित किसानों को 476 एकड़ ज़मीन का अधिकार मिला वापस ⁕
  • ⁕ Akola: अकोला में गारंटी मूल्य पर पांच दिन में सिर्फ तीन केंद्रों पर खरीदा गया केवल 426 क्विंटल सोयाबीन ⁕
  • ⁕ एग्रो विजन में शामिल होने नागपुर पहुंचे कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे, नाफेड खरीद जल्द से जल्द शुरू होने की कही बात ⁕
  • ⁕ जीरो माइल मेट्रो टनल परियोजना: उच्च न्यायालय ने लिया स्वत: संज्ञान, अदालत ने महा मेट्रो से अनुमतियों और सुरक्षा मानकों की मांगी जानकारी ⁕
Buldhana

या तो किडनी बेचने दें या गांजे की खेती करने दें, कर्ज से परेशान किसान ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल से की मांग


बुलढाणा: कर्ज से परेशान एक किसान ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राज्यपाल रमेश बैस को पत्र लिखकर गांजा की खेती करने की अनुमति मांगी है। वहीं इसकी अनुमति नहीं देने पर किडनी बेचने दिया जाये ऐसी मांग अपने पत्र में की है। पत्र लिखने वाले किसान का नाम गंगाधर बलीराम तायडे है। वह बुलढाणा तहसील के पालधाग (पोस्ट कोथली) ग्राम के निवासी हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, गंगाधर का गांव में ही बमुश्किल 1 हेक्टेयर 60R खेत है। लिखे अपने पत्र में गंगाधर ने कहा, "चूंकि खेत ज्ञानगंगा अभयारण्य से सटे हुए हैं, इसलिए जंगली जानवर फसलों को नष्ट कर देते हैं। फसलों को बचाने के लिए रात को दिन बनाए रखना जरूरी है। इससे हम कभी भीगे तो कभी सूखे, कभी ओले तो कभी फसलों को महामारी से बचाना पड़ता है। वहीं इससे बचने वाली फसल को कौड़ी के दाम मिलते हैं।" इसी के साथ उन्होंने सवाल पूछा की ऐसे में फसल कैसे कर्ज भरें?

आगे पत्र में लिखा, चूंकि फसल ऋण छोटा था, इसलिए उन्होंने एक निजी साहूकार से आधी ब्याज दर पर पैसा लिया और खेती की। हालांकि, पिछले चार साल का हाल यह है कि आप जो भी उगाते हैं, वह नुकसान ही होता है। बैंक और साहूकार जैसे-जैसे दंड देते रहते हैं वैसे-वैसे अपमान भी हर समय सहना पड़ता है। इस दुष्चक्र के कारण कर्जदारता बढ़ती चली गई।

उन्होंने कहा कि मन में आत्महत्या के विचार आते हैं, लेकिन मन घबराता नहीं है। आत्महत्या के मामले में सरकार परिवार को भुगतान करेगी, लेकिन चूंकि मैं ही एकमात्र कर्ता हूं, इसलिए परिवार समाप्त हो जाएगा। बच्चों को पिता नहीं मिलेगा। इसलिए पत्र के जरिए मांग की गई है कि या तो गांजे की खेती की इजाजत दी जाए या किडनी की बिक्री की इजाजत दी जाए।

पत्र की प्रतियां कृषि मंत्री, मुख्य सचिव, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, विधायक संजय गायकवाड को सौंपी गई है। मांग पूरी नहीं होने पर ताइदे ने दो जून से मुंबई में मंत्रालय के सामने धरना देने की चेतावनी दी है।