Buldhana: आषाढ़ी एकादशी के मौके पर श्री मंदिर में लगी भक्तो की भीड़

बुलढाणा: 'मेरे जीवन की लगन! गुड़ी लेकर पंढरपुर जाऊंगा!! ज्ञानेश्वर माउली ने इन अर्थपूर्ण शब्दों में आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर पंढरपुर वारी का महत्व बताया है। विठु माउली के लाखों भक्तों के लिए आषाढ़ी की वारी एक व्रत है, सबसे बड़ा त्योहार है। हालांकि, सांसारिक कठिनाइयों, शारीरिक बीमारियों, कमजोरी और बुढ़ापे के कारण, सभी वारकरियों के लिए पंढरपुर वारी जाना असंभव है। तब उनके कदम विदर्भ के पंढर शेगाँव शहर की ओर मुड़ते हैं। गजानन महाराज में विठुमौली के रूप के दर्शन करने वाले हजारों भक्त फिर संतों के शहर शेगाँव में प्रवेश करते हैं।
इस वर्ष की आषाढ़ी भी इस परंपरा से अछूती नहीं रही। रविवार 6 जुलाई को शेगाँव शहर में सैकड़ों दिंड्या के साथ पाँच लाख भक्तों की भीड़ उमड़ी। इसके कारण संत गजानन महाराज मंदिर परिसर और मंदिर की ओर जाने वाले विभिन्न मार्ग भक्तों से खचाखच भरे रहे। आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर न केवल राज्य बल्कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश और गुजरात से भी भक्त शेगाँव पहुँचे हैं। हजारों परिवार श्री के दर्शन के लिए आए हैं।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए शनिवार 5 जुलाई को मंदिर को पूरी रात दर्शन के लिए खुला रखा गया। कल रात दर्शन के लिए 1 घंटे का समय लगा। हालांकि, पूरी रात मंदिर खुला रहने के बावजूद इस रविवार को दर्शन के लिए लंबी कतारें देखी गईं। आज सुबह सीधे दर्शन के लिए 2 घंटे और दोपहर बाद 3 से 3.30 घंटे लग गए। दूर-दूर से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहा, इसलिए आज रविवार को मंदिर को पूरे दिन खुला रखा गया।
आषाढ़ी के अवसर पर गजानन महाराज संस्थान मंदिर को तोरण, केले के पत्तों और विभिन्न फूलों से सजाया गया था। जगह-जगह सैकड़ों सेवक तैनात किए गए थे। आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर आज सुबह से ही शेगाँव स्थित संत गजानन महाराज मंदिर में विविध धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें सुबह मंदिर में काकड़ा भजन तथा दोपहर में प्रवचन हुआ। दर्शनबाड़ी एवं श्रीमुख दर्शनबाड़ी, महाप्रसाद एवं पारायण का आयोजन किया गया।

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