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Nagpur

Education Scam: 540 फर्जी शालार्थ आईडी बना सालों से उठाते रहे तनख्वा, 5400 करोड़ का घोटाला आया सामने


नागपुर: पूर्व विदर्भ में शिक्षा विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें 540 फर्जी शालार्थ आईडी का इस्तेमाल कर सालों से वेतन उठाया जा रहा है। इन आईडी के माध्यम से 2019 से वेतन वितरित किया जा रहा था, इसकी शिकायत शिक्षा विभाग में दर्ज कराई गई है। आश्चर्य की बात तो ये है की आईडी शिक्षकों में से कई तो अस्तित्व में ही नहीं हैं। भ्रष्टाचार के इस मामले में कई और लोगों के गिरफ्तार होने की संभावना है।

घोटाले का खुलासा करते हुए एसीपी लोहित मतानी ने बताया कि, "12 मार्च को शिक्षा विभाग द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी कि उनके सिस्टम में 540 फर्जी स्कूल आईडी तैयार की गई थीं। और 2019 से शिकायत आ रही थी कि उस स्कूल आईडी से वेतन काटा जा रहा है।" मतानी ने आगे कहा कि, "अब इस मामले में जांच के लिए एनआईसी और महाआईटी सर्वर से संबंधित डेटा मांगा गया है।"

प्रारंभिक जांच में शिक्षा उपसंचालक उल्हास नारद का नाम प्रकाश में आया है और उनका कार्यालय ही शालार्थ आईडी प्रक्रिया का मुख्य केंद्र था। इसलिए उनके कार्यालय में लगे कंप्यूटरों के आईपी लॉग इन और कर्मचारियों के मोबाइल आईपी एड्रेस का मिलान कर जांच की जा रही है। हद तो ये है कि इन 540 आईडी शिक्षकों में से कई तो अस्तित्व में ही नहीं हैं, तथा उन्हें सालों से वेतन दिया जा रहा है। कुछ शिक्षकों का अभी पता नहीं चल पाया है, जिससे अब कोई शक ही नहीं है की इस माले में फर्जीवाड़ा नहीं हुआ।

इस मामले की जाँच कर रहे पुलिस अधिकारी ने बताया कि कुछ स्कूल आईडी शिक्षा विभाग के बाहर भी बनाई गई थीं। शिक्षा उपसंचालक उल्हास नारद के कॉल रिकॉर्ड और आईडी लॉगिन के लिए इस्तेमाल किया गया आईपी एड्रेस भी मेल खा रहा है। इस मामले में कुछ और अधिकारियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जा सकता है, तथा स्कूलों में जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच चल रही है।

स्कूल आईडी प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या है?
जब विद्यालय से किसी शिक्षक के चयन एवं नियुक्ति के संबंध में प्रस्ताव आता है। इसके बाद शिक्षा उपनिदेशक उसे मंजूरी देते हैं। इसके बाद जिस स्कूल के लिए प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, वहां से शिक्षक की स्कूल आईडी यानी सैलरी आईडी बनाई जाती है। इसे स्कूल द्वारा अनुमोदित किया जाता है और फिर शिक्षा विभाग की पेरोल टीम द्वारा अनुमोदित किया जाता है। इसके बाद ही उस स्कूल आईडी को शिक्षा विभाग की प्रणाली में जोड़ा जाता है।