Nagpur: नागपुर में 'ऑपरेशन यू-टर्न' बना 'खानापूर्ति'? पुलिस को और 'दम' लगाने की जरूरत

नागपुर: नागपुर यातायात पुलिस द्वारा शुरू किए गए 'ऑपरेशन यू-टर्न' का असर कुछ हद तक दिखने लगा है, लेकिन इसकी पूरी सफलता के लिए पुलिस को अभी और भी बहुत कुछ करना होगा। आए दिन शहर में रात के समय नाकाबंदी कर शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले वाहन चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है, पर जनता की राय में यह प्रयास 'ऊंट के मुंह में जीरा' साबित हो रहा है।
शहर में करीब 1200 बार और सैकड़ों ढाबे हैं, जहां शराब परोसी जाती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी बड़ी संख्या में लोग शराब पीकर सड़कों पर वाहन लेकर निकलते हैं। हालांकि पुलिस कठोर कार्रवाई कर रही है, लेकिन जिस विशाल पैमाने पर शराब की खपत हो रही है, उसकी तुलना में पुलिस की कार्रवाई के आंकड़े काफी छोटे नजर आते हैं।
नागपुर शहर में हर साल 5 करोड़ लीटर से अधिक शराब की खपत होती है, जिससे राज्य सरकार को बड़ा राजस्व मिलता है। इसी राजस्व के चलते पिछले तीन सालों में 200 से अधिक नए बार को लाइसेंस मिले हैं। शराब की बढ़ती खपत के कारण सड़क दुर्घटनाओं में भी भारी इजाफा हुआ है। पुलिस के खुद के आंकड़े बताते हैं कि शाम 6 बजे से रात 12 बजे के बीच सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। इसी समस्या से निपटने के लिए पुलिस ने ऑपरेशन यू-टर्न शुरू किया।
पिछले हफ्ते के आंकड़े बताते हैं कि शुक्रवार को 40, रविवार को 28, सोमवार को 35, मंगलवार को 45 और बुधवार को 45 'ड्रिंक एंड ड्राइव' के मामले दर्ज किए गए। यातायात डीसीपी लोहित मतानी के अनुसार, ट्रैफिक पुलिस इस ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हालांकि, आम नागरिकों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के मुकाबले ये आंकड़े 'खानापूर्ति' ही हैं।
जानकारों का कहना है कि इस ऑपरेशन को सही मायने में सफल बनाने के लिए सिर्फ ट्रैफिक पुलिस को ही नहीं, बल्कि थानों के स्टाफ को भी मिलकर इस मुहिम में पूरा दम लगाना होगा। तभी शहर में शराब पीकर वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में कामयाबी मिल सकती है। वरना 'ऑपरेशन यू-टर्न' एक अच्छी शुरुआत होकर भी अपने लक्ष्य से दूर रह जाएगा।

KARAN SINGH PRATAP SINGH THAKUR
Reporter