सुनीता जामगड़े को पाकिस्तान ने भारत को सौंपा, महिला को लेने अमृतसर पहुंची नागपुर पुलिस; खुलेंगे कई राज

नागपुर: भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (एलओसी) को अवैध रूप से पार कर पाकिस्तान में प्रवेश करने वाली नागपुर की एक महिला सुनीता जामगाड़े को पाकिस्तानी प्रशासन ने भारत को सौंप दिया है। पाकिस्तान रेंजर्स ने सुनीता को बीएसएफ को सौंपा है। जिसके पश्च्यात बीएसएफ ने अपनी जाँच कर उसे अमृतसर पुलिस के हवाले कर दिया है। सुनीता को हिरासत में लेने के लिए नागपुर पुलिस की एक टीम अमृतसर पहुंच गई है। जल्द ही नागपुर पुलिस अमृतसर जाएगी। सोमवार को डीसीपी निकेतन कदम ने इस बात की जानकारी दी।
मूल रूप से नागपुर की रहने वाली 43 वर्षीय महिला सुनीता जामगड़े जम्मू-कश्मीर में कारगिल के निकट हंदरमन गांव से अवैध रूप से पाकिस्तान में प्रवेश कर गई थी। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि महिला एक ईसाई पादरी से मिलने पाकिस्तान गई थी। सुनीता अपने 14 वर्षीय बेटे को कारगिल के एक स्थानीय होटल में अकेला छोड़ गई थी।
महिला की हरकतों ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बीच सीमा सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए, जबकि 'ऑपरेशन सिंदूर' चल रहा था। सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान रेंजर्स के आपसी समन्वय के बाद उन्हें भारत वापस सौंप दिया गया है। बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच फ्लैग मीटिंग के जरिए इस महिला की वापसी संभव हो पाई। अमृतसर में सीमा पार करने के बाद उन्हें भारत की सुरक्षा एजेंसियों के हवाले किया गया।
नागपुर पुलिस की टीम पहुंची अमृतसर
सुनीता की वापसी के बाद अब कई सवाल खड़े हो गए हैं। नागपुर पुलिस की टीम, जिसमें एक अधिकारी और दो महिला कांस्टेबल शामिल हैं, उन्हें नागपुर लाने के लिए अमृतसर पहुंच चुकी है। पुलिस उपायुक्त निकेतन कदम ने बताया कि सुनीता से पूछताछ की जाएगी ताकि यह पता चल सके कि क्या वे किसी जासूसी या अवैध गतिविधियों में शामिल तो नहीं थी।
अमृतसर पुलिस ने जीरो एफआईआर किया दर्ज
इस संबंध में नागपुर के कपिल नगर इलाके की निवासी सुनीता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में नागपुर पुलिस जल्द ही अतिरिक्त आरोपपत्र दाखिल करेगी। सुनीता ने पहले भी दो बार पाकिस्तान जाने की कोशिश की थी। हालाँकि, दोनों बार उसके प्रयास असफल रहे। इससे पहले सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने उसे गिरफ्तार कर अमृतसर पुलिस को सौंप दिया था। अमृतसर पुलिस ने इस मामले में ज़ीरो एफआईआर दर्ज की है, जिसे अब नागपुर के कपिल नगर थाने में स्थानांतरित किया जाएगा क्योंकि सुनीता वहीं की स्थायी निवासी हैं।
सुनीता मानसिक रूप से बीमार!
परिवार के मुताबिक, सुनीता मानसिक रूप से अस्थिर थीं और उसका अस्पताल में इलाज भी जारी था। पहले वह एक अस्पताल में नर्स थीं, बाद में घर-घर जाकर कपड़े बेचने का काम करती थीं। उनका बेटा, जो उनके लापता होने के बाद लद्दाख में बाल कल्याण समिति के संरक्षण में था, अब जल्द ही मां से मिल सकता है।

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