अमरावती जिला बना किसान आत्महत्या का पॉइंट, चार महीने में 61 ने लगाया मौत को गले

अमरावती: जिले में किसानों की आत्महत्या का दौर जारी है और पिछले चार महीनों में कई किसान अपनी जान दे चुके हैं। पिछले वर्ष कुछ स्थानों पर वर्षा की कमी तथा कुछ क्षेत्रों में भारी वर्षा के कारण फसल उत्पादन कम हुआ था। इसके प्रभाव महसूस होने लगे हैं। हकीकत यह सामने आ गई है कि पिछले महीने 19 किसानों ने आत्महत्या कर ली।
किसानों और संगठनों का आरोप है कि वे सरकार की उदासीन नीतियों से पीड़ित हैं। फसल बोने के लिए कर्ज लेने और अपनी फसल को बचाने के लिए अथक परिश्रम करने के कारण किसानों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, कभी प्राकृतिक आपदाओं के कारण नुकसान उठाना पड़ा तो कभी अपनी उपज का अच्छा मूल्य नहीं मिल पाया। इस चक्र में फंसे किसानों को हमेशा इस बात की चिंता रहती है कि वे अपना ऋण कैसे चुकाएं। यह बात सामने आ रही है कि इन व अन्य कारणों से कई किसानों ने आत्महत्या की है।
जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच 200 किसानों ने आत्महत्या की। इस वर्ष के पहले चार महीनों में विभिन्न कारणों से 61 किसानों ने आत्महत्या कर ली है। इनमें से 19 किसानों ने पिछले महीने आत्महत्या का विकल्प चुना। प्राकृतिक आपदा, फसल खराब होना, सूखा, बैंकों व साहूकारों से लिया गया कर्ज, कर्ज वसूली का दबाव, बेटी की शादी, बीमारी आदि विभिन्न कारणों से किसानों का धैर्य जवाब दे रहा है।
किसान जान दे रहे हैं। किसानों के संघर्ष पर निराशा हावी हो रही है, क्योंकि लगातार बारिश और भारी बारिश के कारण फसलें नष्ट हो गई हैं और पैदावार कम हो गई है, जिससे उत्पादन लागत को पूरा करना मुश्किल हो गया है।
दूसरी ओर सरकार की उदासीन नीति भी किसानों की आत्महत्या का एक कारण है। पिछले चार महीनों में जिले में 61 किसान आत्महत्याएं हुई हैं, जिनमें से 9 आत्महत्याएं उचित पाई गईं, जबकि 48 आत्महत्याएं अभी भी जांच के लिए लंबित हैं। ज्ञातव्य है कि आत्महत्या से प्रभावित 9 पात्र किसान परिवारों में से 4 परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है, जबकि 5 पात्र परिवार अभी भी सरकारी सहायता से वंचित हैं।

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