चंद्रपुर में अपने ही नेताओं की दहशत में भाजपा कार्यकर्ता, पोस्टर-बैनर लगाने से बना रहे दूरी

- पवन झबाडे
चंद्रपुर: जिले में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता भारी दहशत के माहौल में काम कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह डर किसी बाहरी कारण से नहीं, बल्कि खुद के ही पार्टी नेताओं के व्यवहार और अंतर्गत संघर्ष की वजह से है। यह चर्चा अब सिर्फ कार्यकर्ताओं तक सीमित न रहकर आम नागरिकों तक भी पहुँच चुकी है और इसका प्रत्यक्ष अनुभव समय-समय पर होता रहा है।
अभी तक जिस प्रकार किसी भी कार्यक्रम में भाजपा के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और पूर्व नगरसेवकों के शुभेच्छा संदेशों के फलक, बैनर और पोस्टर प्रमुखता से दिखाई देते थे, अब यह नजारा काफी कम होता जा रहा है। इसका मुख्य कारण है चंद्रपुर के दो प्रमुख नेताओं का संघर्ष विधायक किशोर जोरगेवार और विधायक सुधीर मुनगंटीवार के बीच चल रहा आपसी संघर्ष। कार्यकर्ताओं को असमंजस और भय की स्थिति में डाल दिया है। जहाँ पहले गुटबाजी का आरोप आम तौर पर कांग्रेस पार्टी पर लगता था, वहीं अब भाजपा में भी वैसी ही हालत बनती नजर आ रही है।
कार्यकर्ता और पूर्व नगरसेवक अब किसी भी कार्यक्रम में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने से कतराने लगे हैं। खासतौर पर पोस्टर-बैनर लगाने को लेकर उनमें भारी असमंजस और डर बना हुआ है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि कोई पोस्टर या फलक लगाते हैं, तो उसमें नेताओं के फोटो लगाना अनिवार्य हो जाता है। ऐसे में यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि किस नेता का फोटो बड़ा और किसका छोटा लगाना चाहिए। यदि गलती से किसी का फोटो छोटा या पीछे रह गया, तो नेताओं का असंतोष झेलना पड़ता है। इस कारण कई कार्यकर्ताओं ने फलक और बैनर लगाना ही बंद कर दिया है।
यह भी देखने में आ रहा है कि यदि कोई फलक लगाता भी है, तो उसमें पार्टी का चिन्ह या नेताओं का फोटो न लगाकर केवल व्यक्तिगत रूप से अपना नाम दर्शाता है। इससे साफ जाहिर होता है कि कार्यकर्ता किस हद तक दहशत में हैं। भाजपा के भीतर चल रही यह अंतर्कलह अब संगठन और आगामी महानगरपालिका चुनावों के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। कार्यकर्ता फिलहाल खुद की सुरक्षा और राजनीतिक भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपने-अपने प्रभाग तक ही सीमित रहना पसंद कर रहे हैं।

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