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चंद्रपुर बनता जा रहा है डुप्लीकेट शराब का अड्डा, वर्धा से हो रही बड़े पैमाने पर तस्करी


-पवन झबाडे

चंद्रपुर: जिला धीरे-धीरे डुप्लीकेट (नकली) शराब का गढ़ बनता जा रहा है। कुछ दिनों पहले ही चंद्रपुर स्थानीय अपराध शाखा की टीम ने चिमूर तहसील में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए भारी मात्रा में नकली शराब का जखीरा जब्त किया था। अब सुत्रोने दिये ताजा जानकारी के अनुसार, वर्धा जिले के अलीपुर गांव से एक बड़ा ट्रक नकली शराब लेकर चंद्रपुर जिले में आया है, जिसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

सूत्रों के अनुसार, वर्धा जिले के अलीपुर में स्थित एक अवैध डुप्लीकेट शराब फैक्ट्री से यह शराब चंद्रपुर जिले में भेजी जा रही है। चंद्रपुर में 1 अप्रैल 2015 से शराबबंदी लागू की गई थी, जो पूरे छह वर्षों तक प्रभावी रही। इस अवधि में जिले में शराब तस्करी का जाल तेजी से फैला और कई तस्करों ने इस अवैध धंधे से करोड़ों की कमाई की।

कुछ ने तो इस कमाई के दम पर खुद की नकली शराब फैक्ट्री भी खड़ी कर ली और वर्धा जैसे शराबबंदी वाले जिलों में अवैध विक्रेताओं के साथ साझेदारी कर अपना नेटवर्क फैलाया।हालांकि, आठ जून 2021 को चंद्रपुर में शराबबंदी हट गई और लाइसेंस प्राप्त शराब की दुकानें शुरू हो गईं, मगर अवैध तस्करों को पैसों की आदत लग चुकी थी। इसलिये अब ये लोग नकली शराब को सस्ते दामों में बेचकर फिर से मुनाफा कमा रहे हैं।

बताया जा रहा है कि जिले की कुछ देशी शराब भट्टियों और वाइन शॉप्स में नकली शराब बेची जा रही है।इस नकली शराब के चलते गंभीर दुर्घटनाएं और जानलेवा घटनाएं होने की आशंका जताई जा रही है। खासकर वर्धा जिले से सटे वरोरा, माजरी, खांबाड़ा जैसे इलाकों में सक्रिय तस्करों की भूमिका को लेकर गंभीर चर्चा हो रही है।

जहां एक ओर पुलिस विभाग सक्रियता से कार्रवाई कर रहा है, वहीं राज्य उत्पादन शुल्क विभाग की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। विभाग द्वारा एक-दो मामूली कार्रवाइयों को छोड़ दें, तो किसी भी ठोस कार्रवाई के प्रमाण सामने नहीं आए हैं। इसके विपरीत, विभाग के अधिकारी खुद की पीठ थपथपाने में और खुदका अभिनंदन करणे मे ज्यादा व्यस्त नजर आ रहे हैं। स्थिति यदि जल्द नहीं सुधारी गई तो चंद्रपुर जिले में नकली शराब के कारण किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।