Chandrapur: तस्करों की जंजीरें तोड़ 770 मासूम जानवरों को दी ज़िंदगी की नई साँस
चंद्रपुर: मानवता को शर्मसार करने वाली अवैध पशु तस्करी पर लगाम कसने के लिए चंद्रपुर पुलिस ने पिछले दस महीनों में एक मिसाल पेश की है। जान की बाजी लगाकर, दिन-रात सड़कों पर गश्त करते हुए पुलिस ने मौत के मुँह से 770 जानवरों को बचाकर नई ज़िंदगी दी। 1 जनवरी से 31 अक्टूबर 2025 तक के दस महीनों में पशु तस्करी के 58 मामलों में कार्रवाई करते हुए 163 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 7 करोड़ 74 लाख 77 हज़ार 750 रुपए का माल ज़ब्त किया गया है। यह सिर्फ आँकड़े नहीं, बल्कि उन बेबस जानवरों की करुण पुकार पर पुलिस की संवेदनशील प्रतिक्रिया की कहानी है।
पुलिस की मुहिम बनी संवेदनशीलता की मिसाल
एक ओर जहाँ गाय को “गोमाता” और बैल को “किसान का साथी” कहा जाता है, वहीं कुछ लालची व्यापारी थोड़े से पैसों के लालच में इन निर्दोष पशुओं को अवैध रूप से वध के लिए तस्करी करते हैं। इसी पर रोक लगाने के उद्देश्य से जिला पुलिस अधीक्षक मुम्मका सुदर्शन ने स्थानीय अपराध शाखा और सभी थाना पुलिस को सख्त निर्देश जारी किए। इन निर्देशों के बाद स्थानीय अपराध शाखा (LCB) और जिला पुलिस ने रात-दिन राजमार्गों पर गश्त बढ़ाई।
गुप्त जानकारी के आधार पर कई छापेमारी कर पुलिस ने तस्करों के कई षड्यंत्रों को अंजाम तक पहुँचने से पहले ही ध्वस्त कर दिया। दस महीनों में की गई 58 कार्रवाइयों के दौरान पुलिस ने 770 निर्दोष जानवरों को कसाईखानों की ओर जा रहे ट्रकों से मुक्त कराया और 163 तस्करों को सलाखों के पीछे भेजा।
पुलिस अधीक्षक मुम्मका सुदर्शन का वक्तव्य
कानून और व्यवस्था बनाए रखना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। पशु तस्करी रोकने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं दस महीनों में 770 जानवरों को मुक्त कराया गया और लगभग सात करोड़ रुपए का माल जब्त किया गया। किसी भी सामाजिक संगठन या नागरिक के पास ऐसी जानकारी हो तो तुरंत हमें सूचित करें, हम तत्काल कार्रवाई करेंगे। परंतु किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।”
तेलंगाना मार्ग बना ‘हॉटस्पॉट
जाँच में सामने आया है कि चंद्रपुर जिले से तेलंगाना राज्य के दिशा में पशु तस्करी के कई प्रयास किए जा रहे थे।इसी कारण पुलिस ने तेलंगाना मार्ग पर विशेष निगरानी रखी, जिसका नतीजा यह रहा कि पिछले दस महीनों में 770 जानवरों की सफलतापूर्वक मुक्ति संभव हो पाई। एसपी के आदेशानुसार स्थानीय अपराध शाखा (LCB) के पुलिस निरीक्षक अमोल काचोरे ने कई विशेष टीम गठित कीं। इन्हीं टीमों ने अलग-अलग इलाकों में लगातार कार्रवाई करते हुए सबसे अधिक सफलता हासिल की। दस महीनों में हुई 58 कार्रवाइयों में एलसीबी का योगदान सबसे प्रमुख रहा है।
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