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Nagpur

शहर के कॉलेज छात्रों को निशाना बना रहे साइबर अपराधी, धोखाधड़ी के मामले में दो आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार


नागपुर: साइबर अपराधियों ने अब नागपुर के कॉलेज छात्रों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है। वे छात्रों को अपने जाल में फंसाकर उनसे किराए पर बैंक खाते हासिल कर रहे हैं, जिनका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। हाल ही में साइबर पुलिस ने ऐसे ही एक मामले का खुलासा किया, जिसमें दो छात्रों को गिरफ्तार किया गया है। इन छात्रों ने जनवरी महीने से अब तक साइबर अपराधियों को लगभग 30 बैंक खाते उपलब्ध कराए जाने की चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, फरियादी 27 वर्षीय नारी निवासी स्नेहल साखरे हैं जो कि शहर के एक फायर कॉलेज में प्रशिक्षक का काम करते हैं। आरोपियों में उनका एक रिश्तेदार यवतमाल निवासी अविनाश ताकसांडे और उसका साथी गोंदिया निवासी अंश टेंभेकर का समावेश है। आदित्य बीसीए की पढ़ाई करता है जबकि अंश होटल मैनेजमेंट कर रहा है। ते दोनों ही गुजरात के साइबर अपराधियों के चुंगल में फंस गए थे। इसके चलते ही आदित्य ने अपने रिश्तेदार का बैंक खाता खुलवाकर उसे साइबर अपराधियों को दिया था जिसमें करीब 58 लाख रूपयों की ट्रांजैक्शन हुई थी।

दरअसल साइबर अपराधी धोखाधड़ी के पैसों को किराए के खातों में ट्रांसफर करवा कर उन्हें दूसरे खातों में भेजते हैं। इस मामले में आदित्य ने अपने रिश्तेदार के खाते को अपने साथी अंश को दिया था। साइबर अपराधियों द्वारा उन्हें एक खाते का इस्तेमाल करने के बदले में  ₹10000 दिए थे। जब स्नेहल का बैंक खाता फ्रिज हो गया तब उन्होंने इसकी शिकायत साइबर पुलिस से की थी। जांच में इस पूरे रैकेट का खुलासा हुआ जिसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। प्रारंभिक जांच में ही दोनों से पूछताछ में साइबर अपराधियों को उन्होंने करीब 30  बैंक खाते मुहिया करवाने की जानकारी मिली है जिसकी जांच पुलिस कर रही है। 

साइबर अपराधी छात्रों को लालच देकर उनका इस्तेमाल कर रहे है। उधार के बैंक खाते देने के बदले में  उन्हें कुछ पैसे दिए जाते हैं। परंतु छात्रों को इस बात का ज्ञान नहीं  होता कि उनके खातों का इस्तेमाल धोखाधड़ी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। यही कारण है कि साइबर पुलिस ने नागरिकों से आवाहन किया है कि किसी भी अज्ञात व्यक्ति को अपने बैंक खाते की जानकारी या एक्सेस ना दे और यदि कोई ऐसी संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे तो तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दें।