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..अब I Love You बोलना अश्लीलता नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सुनाया अहम् फैसला


नागपुर: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ (Nagpur Bench of Bombay High Court) ने एक ऐतिहासिक और समाजिक दृष्टिकोण से अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी सहकर्मी को "आई लव यू" कहता है, तो मात्र इस कथन को यौन उत्पीड़न या अश्लील आचरण नहीं माना जा सकता, जब तक उस कथन में कोई जबरदस्ती, अशोभनीय व्यवहार, या अनुचित स्पर्श शामिल न हो।

यह फैसला न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फडके (Urmila Joshi Fadke) और न्यायमूर्ति वी.जी. बिसेन (VG Bisen) की दो सदस्यीय पीठ ने सुनाया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।

क्या है मामला?

एक महिला शिक्षक ने अपने पुरुष सहकर्मी शिक्षक पर यह आरोप लगाया था कि वह बार-बार "आई लव यू" कहता था, जिससे उसे असहजता होती थी और उसने इसे यौन उत्पीड़न की श्रेणी में माना। महिला की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी शिक्षक के खिलाफ IPC की धारा 354 (महिला की मर्यादा भंग करना), 509 (शब्दों या इशारों द्वारा महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), और अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली थी।

क्या कहा अदालत ने?

आरोपी शिक्षक ने इसे झूठा और दुर्भावनापूर्ण आरोप बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की और FIR को रद्द करने की मांग की थी। आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि, "आई लव यू" कहने मात्र से कोई भी कृत्य अश्लील या आपराधिक नहीं बन जाता, जब तक यह जबरन, लगातार पीछा करने या शारीरिक संपर्क के साथ न कहा गया हो।" अदालत ने आगे कहा कि, शिकायतकर्ता ने ना तो यह आरोप लगाया कि आरोपी ने उसे छूने की कोशिश की या शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाया, और ना ही कोई आपत्तिजनक अश्लील इशारा किया।

आरोपी द्वारा किया गया कथन व्यक्तिगत भावना की अभिव्यक्ति है। यह आवश्यक नहीं कि हर भावनात्मक बयान को आपराधिक कृत्य में तब्दील कर दिया जाए। कोर्ट ने कहा, "हर असहजता आपराधिक नहीं होती। कानून का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता।" अदालत ने एफआईआर को रद्द करते हुए मामले में किसी भी प्रकार का आपराधिक तत्व नहीं पाया गया।