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डॉ. आंबेडकर जयंती पर आदिवासी पारधी न्याय संकल्प परिषद, 75 साल में पहली बार आयोजित हुआ सम्मेलन


नागपुर: भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल को आदिवासी पारधी न्याय संकल्प परिषद का आयोजन किया गया। परिषद का आयोजन महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति जमाती आयोग तथा आदिवासी पारधी विकास परिषद के संयुक्त तत्वावधान में   शासकीय विश्रामगृह रविभवन में  किया गया। इस आयोजन का मुख्य मकसद पारधी समाज के शोषित, पीड़ित व उपेक्षित समुदाय के न्याय से जुड़े मुद्दों पर गहराई से चर्चा कर न्याय दिलाना था। आजादी के 75 वर्ष में पहला मौका था जब इस तरह का आयोजन किया गया। 

इस परिषद में राज्य के 28 जिलों से पीड़ित पारधी समाज के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे और अपनी वर्षों से लंबित शिकायतें तथा प्रकरण आयोग के समक्ष प्रस्तुत किए। आयोग के उपाध्यक्ष एड. धर्मपाल मेश्राम के समक्ष कुल 156 प्रकरण लिखित रूप में दर्ज किए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति जमाती आयोग के उपाध्यक्ष एड. धर्मपाल मेश्राम ने की। मुख्य अतिथियों में सामाजिक चिंतक डॉ. उपेंद्र कोठेकर, आदिवासी विकास विभाग के अपर आयुक्त व उप आयुक्त दिगंबर चव्हाण, परियोजना अधिकारी नितीन इसोकार और आदिवासी सेवक तथा प्रांताध्यक्ष बबन गोरामण उपस्थित थे।

मेश्राम ने परिषद में प्रस्तुत सभी शिकायतों को ध्यानपूर्वक सुना और आश्वासन दिया कि ये सभी प्रकरण प्राथमिकता के आधार पर सुलझाए जाएंगे। साथ ही, जो अधिकारी कार्य में लापरवाही बरतेंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। परिषद दो सत्रों में आयोजित की गई। पहले सत्र में पश्चिम महाराष्ट्र व मराठवाड़ा के पीड़ित पारधी समाज से चर्चा की गई, और दूसरे सत्र में विदर्भ क्षेत्र के पीड़ितों से संवाद कर उनकी शिकायतें दर्ज की गईं।

डॉ. उपेंद्र कोठेकर ने अपने उद्बोधन में कहा, “मानव मुक्ति का संघर्ष देने वाले, मानवता की नींव रखने वाले डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती पर इस न्याय संकल्प परिषद का आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न्याय दिलाने वाले संकल्प की शुरुआत है और भविष्य में ऐसी परिषदें बार-बार आयोजित की जाएंगी।”

उन्होंने कहा, "एक व्यक्ति या संगठन अपराधी हो सकता है, लेकिन पूरी की पूरी जाति को अपराधी कैसे ठहराया जा सकता है?" फासे पारधी समाज ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में वीरता से भाग लिया, स्वतंत्रता सेनानियों को महत्वपूर्ण सहयोग दिया, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उन्हें डाकू घोषित कर "फूट डालो और राज करो" की नीति अपनाई। आज़ादी के 75 वर्षों के बाद भी यह कलंक मिटाया नहीं जा सका है यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

समाज जागरूकता के साथ-साथ शासकीय योजनाओं का लाभ समाज तक पहुंचाना भी बेहद आवश्यक है। “देश में मोदी सरकार और राज्य में फडणवीस सरकार है, जो न्यायप्रिय है, इसलिए पारधी समाज के साथ हुए अन्याय की भरपाई अब जरूर होगी,” ऐसी उम्मीद उन्होंने जताई।