Ram Jhula Hit & Run Case: मामले की जाँच अब सीआईडी करेगी, पीड़ितों की मांग पर न्यायालय का आदेश

नागपुर: रामझूला हिट एंड रन मामले (Ram Jhula Hit & Run Case) में अदालत ने बड़ा निर्णय लिया है। अदालत ने मामले की जांच अब सीआईडी को सौंप दी है। ज्ञात हो कि, मृतक युवको के परिजनों ने पुलिस पर आरोपी ऋतू मालू (Ritu Maloo) को बचाने का आरोप लगाया था। मामले को छह महीने होने के बावजूद पुलिस आरोपी को पकड़ नहीं पाई जिसको देखते हुए मामले की जाँच सीआईडी को सौंपने की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ याचिका दायर की थी। जिस पर शुक्रवार को न्यायाधीश विनय जोशी और एम् जवाडकर ने यह आदेश दिया।
यह याचिका मृतक मोहम्मद आतिफ के भाई शाहरुख जिया मोहम्मद ने दायर की थी। याचिका में परिजनों ने पुलिस पर कई आरोप लगाए। दुर्घटना में रितु मालू द्वारा दो लोगों की मौत के बाद तहसील उपनिरीक्षक परसुराम भावल सबसे पहले मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने आरोपी रितु और उसकी सहेली माधुरी सारदा को गिरफ्तार करने के बजाय उन्हें भागने में मदद की। घटना के छह घंटे देर से रितु मालू की मेडिकल जांच करायी गयी। तहसील पुलिस पर कई आरोप लगाए गए, जिसमें यह भी शामिल है कि पुलिस ने दुर्घटनाग्रस्त कार को अवैध तरीके से मालिक को सौंप दिया।
वहीं पुलिस सही तरीके से जांच कर रही है. उन्होंने हर सबूत इकट्ठा कर लिया है. पुलिस पर लगे आरोप बेबुनियाद हैं. रितु मालू पुलिस को जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं. पुलिस को सीपी क्लब से सीसीटीवी फुटेज मिले हैं। पुलिस के पास अन्य अहम सबूत भी हैं. हालाँकि, उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है क्योंकि उसका गिरफ्तारी वारंट प्राप्त नहीं हुआ है। वकील देवेन्द्र चव्हाण ने दलील दी कि पुलिस की जांच सही दिशा में है और उन पर अविश्वास करना ठीक नहीं है।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील अमोल हुंगे ने अदालत को बताया कि रितु मालू द्वारा दुर्घटना में दो लोगों की मौत के बाद, तहसील पुलिस स्टेशन के उप-निरीक्षक परसुराम भावल घटनास्थल पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने आरोपी रितु और उसकी सहेली माधुरी सारदा को गिरफ्तार करने के बजाय उन्हें भागने में मदद की. घटना की सूचना सुबह साढ़े चार बजे तहसील पुलिस को दी गई। हालांकि, उन्होंने सुबह 9.31 बजे मामला दर्ज कराया। घटना के छह घंटे देर से रितु मालू की मेडिकल जांच करायी गयी. घटना के बाद पुलिस ने मौका पंचनामा नहीं किया। पुलिस ने 15 अप्रैल को कार जब्त कर ली। बाद में कार को 25 मई को मनकापुर स्थित एक गैरेज में ले जाया गया। पुलिस ने अवैध तरीके से कार मालिक को सौंप दी थी।

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