शालार्थ आईडी घोटाला: 2010 से शुरू था फर्जीवाड़ा, आरोपियों की संख्या पहुंची 15; शिक्षक वेतन शाखा के अधीक्षक निलेश वाघमारे फरार

नागपुर: शालार्थ आईडी घोटाला (School ID Scam) की जाँच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है। वैसे ही एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। एसआईटी जाँच (SIT Investigation) में खुलासा हुआ है कि, 2010 से यह फर्जीवाड़ा शुरू है। इस दौरान करीब 1000 शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। जिनमें से केवल 350 नियुक्तियां ही वैध प्रक्रिया के तहत की गई थीं। बाकी करीब 650 नियुक्तियां संदेहास्पद पाई गईं हैं, जिनमें बिना प्रक्रिया पूरी किए ही 'शालार्थ आईडी' जारी कर दी गई। वहीं इस मामले में अब तक 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
प्रशासन ने मामले की जाँच के लिए एसआईटी का गठन किया है। जिसकी अगुवाई डीसीपी राहुल मदने (DCP Rahul Madne) कर रहे है। मामले की जानकारी देते हुए डीसीपी ने बताया कि, "इन फर्जी नियुक्तियों पर वेतन भुगतान भी शुरू कर दिया गया था, जिससे सरकार को करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। पुलिस के अनुसार, प्रत्येक फर्जी शालार्थ आईडी के पीछे विभाग के तत्कालीन क्लर्क, शिक्षा अधिकारी, वेतन अधीक्षक सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता की संभावना जताई जा रही है।"
अब तक 15 आरोपी गिरफ्तार, वाघमारे की तलाश जारी
राहुल मदने ने बताया कि, "इस मामले में अभी तक 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चूका है। जिसमें कई बड़े अधिकारी शामिल है। शुक्रवार को एसआईटी ने नागपुर शिक्षा विभाग की पूर्व उपसंचालक वैशाली जामदार (Vaishali Jamdar) को गिरफ्तार किया। इस मामले में पहली महिला है जिन्हें गिरफ्तार किया गया है।" इस घोटाले में शिक्षक वेतन शाखा के अधीक्षक निलेश वाघमारे (Nilesh Waghmare) वर्तमान में फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश में जुटी है। उनकी गिरफ्तारी के बाद इस घोटाले से जुड़ी और भी अहम जानकारियाँ सामने आने की उम्मीद है।

admin
News Admin