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Nagpur

शालार्थ आईडी घोटाला: नागपुर विभाग की पूर्व उपसंचालक वैशाली जामदार गिरफ्तार, मामले में पहली महिला की हुई गिरफ़्तारी


नागपुर: शालार्थ आईडी घोटाले में गिरफ़्तारी का सिलसिला लगातार जारी है। गुरुवार को राज्य शिक्षा बोर्ड के संभागीय अध्यक्ष और पूर्व शिक्षा उपनिदेशक चिन्मामन वंजारी को नकली आईडी कार्ड बनाने की मंजूरी देने मामले में गिरफ्तार किया। वहीं शुक्रवार को पुलिस ने फिर एक गिरफ़्तारी की है। पुलिस ने घोटाले में शामिल होने के आरोप में नागपुर विभाग की पूर्व उपसंचालक वैशाली जामदार को गिरफ्तार किया है। जामदार महिला महिला है जिसे धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया है। इसी के साथ मामले में आरोपियों की संख्या 14 हो गई है।

ज्ञात हो कि, शालार्थ आईडी घोटाले में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षकों को मंजूरी देने, मंजूर प्रस्ताव में फेरबदल कर फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने, फर्जी प्रवेश रिपोर्ट पेश कर सरकार को गुमराह करने तथा झूठी व फर्जी नियुक्तियां व पदोन्नतियां करने के आरोप में नागपुर की पूर्व विभागीय उपसंचालक वैशाली जामदार को जांच का नोटिस जारी किया गया। लेकिन, अभी तक उनके खिलाफ कोई जांच नहीं की गई थी।

हालांकि, अंततः शुक्रवार को वैशाली जामदार को गिरफ्तार कर लिया गया। मामले में पहली बार किसी वरिष्ठ महिला अधिकारी की गिरफ्तारी से पूरे शिक्षा क्षेत्र में हलचल मच गई है। उल्हास नारद से पहले वैशाली जामदार नागपुर की संभागीय उपनिदेशक थीं। आरोप है कि शालार्थ आईडी घोटाला भी उनके कार्यकाल के दौरान हुआ था।

संभागीय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष चिंतामन वंजारी, जो वर्तमान में राज्य भर में चल रहे 'शालार्थ आईडी' घोटाले की जांच समिति के अध्यक्ष थे, को गुरुवार रात गिरफ्तार कर लिया गया। नागपुर जिले में 2019 से अवैध रूप से 'शालार्थ आईडी' प्रदान करके उन शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को वेतन का भुगतान किया गया, जो वेतन के लिए पात्र नहीं थे। नागपुर मंडल उपसंचालक कार्यालय के एक कर्मचारी रवींद्र पाटिल ने 12 मार्च को पुलिस को इस घोटाले की सूचना दी। उल्हास नारद के कहने पर यह शिकायत दर्ज की गई।

प्रारंभिक सूचना रिपोर्ट के अनुसार, संभागीय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष चिंतामन वंजारी की अध्यक्षता में एक जांच समिति नियुक्त की गई थी। इस समिति ने फरवरी 2025 में अपनी रिपोर्ट शिक्षा आयुक्त को सौंप दी थी। उपनिदेशक कार्यालय ने 244 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की सूची उपलब्ध कराई थी, जिसमें 211 प्राथमिक शिक्षक, 2 प्रधानाध्यापक, 18 कनिष्ठ लिपिक और 13 चपरासी शामिल थे।

इसके बाद शिक्षा आयुक्त ने वंजारी की रिपोर्ट के आधार पर कड़ा रुख अपनाया और 2019 से 2025 तक नागपुर जिले के संदिग्ध प्राथमिक स्कूलों में 'शालार्थ आईडी' की जांच शुरू की। लेकिन अब वंजारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। शुक्रवार को जामदार की गिरफ्तारी के बाद अधिकारियों को डर है कि इस घोटाले में किसी और की गिरफ्तारी होगी।