Gondia: शोपीस बने गांवों में लगे सौर लाइट, जिला परिषद की योजना पुरी तरह फेल

- ग्राम पंचायतें भी नहीं कर पाई मेंटेनेंस
गोंदिया: बिजली बचत तथा ग्रामीणों को अंधेरे से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से सन 2014-15 में जिला परिषद के तहत जिले के गांव-गांव में सौर ऊर्जा लाइट लगाए गए थे। जिससे तहसील के अनेक गांव में यह सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। शासन ने निजी कंपनियों को गांवों में सौर लाइट लगवाने का कार्य सौंपा था। जिसमें एक वर्ष तक मेंटेनेंस की जिम्मेदारी निजी कंपनी की थी, लेकिन यहां ऐसा कुछ हुआ नहीं है। एक बार सौर लाइट लगने के बाद इसे कंपनियों ने मुड़ कर भी नहीं देखा है।
वहीं निधि के अभाव में ग्राम पंचायतों ने भी इसकी देखभाल नहीं की है। ऐसे में अधिकतर गांवों में सौर ऊर्जा लाइट आज बंद पड़े हैं। लाखों रु। खर्च करने के बाद भी यह सुविधा कुछ महीने भी टिक नहीं पाई है। जिससे शासन की यह योजना पूरी तरह फेल साबित हुई है।
गोरेगांव तहसील के अधिकतर गांव आज भी अंधेरे में है। अनेक गांवों में स्ट्रीट लाइट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। वहीं सौर ऊर्जा लाइट वर्षों से शोपीस बने बंद पड़े हैं। बारिश का मौसम शुरू हो गया है और खेती किसानी के कार्यों ने जोर पकड़ लिया है। वहीं किसानों को देर रात अंधेरे में खेतों में जाना पड़ रहा है। जिसमें सांप, बिच्छू जैसे विषधारी जंतुओं का खतरा बढ़ गया है।
तहसील के 56 ग्राम पंचायतों में से कुछ ही गांवों में स्ट्रीट लाइट शुरू है। लेकिन बारिश के चलते बिजली गुल की समस्या रहती है। जिसमें सौर ऊर्जा लाइट वरदान साबित हुआ करते हैं। लेकिन गांव में सौर लाइट की स्थिति बिल्कुल विपरीत है। कुछ गांव में सौर लाइट की बैटरियां चोरी हो गई है, तो कुछ गांवों में सौर ऊर्जा कीट खराब हो गई है। प्रशासन द्वारा 2014-15 से सौर ऊर्जा लाइट योजना गांव-गांव में चलाई गई थी। लेकिन घटिया सामग्री इस्तेमाल के चलते यह कुछ महीने भी ठीक नहीं पाई।
जिसमें एक बार लगने के बाद दोबारा इसकी दुरुस्ती नहीं हुई है। यहां कंपनियों ने अपनी जिम्मेदारी से सीधे हाथ खड़े कर दिए हैं, साथ ही निधि के अभाव में ग्राम पंचायतें भी इसकी देखभाल नहीं कर पा रही है। लाखों रु। की निधि खर्च करने के बाद भी प्रशासन की यह योजना पूरी तरह फेल साबित हुई है। जिसके चलते अनेक गांव आज भी अंधेरे में डूबे हैं।

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