अब महाराष्ट्र में गांवों की सड़कों की होगी नंबरिंग, राजस्व विभाग ने लिया निर्णय

नागपुर: राज्य के प्रमुख राज्य राजमार्गों और राष्ट्रीय राजमार्गों को जिस तरह एक विशेष नंबर या क्रमांक दिया जाता है, अब उसी तरह अब गाँवों की सड़कों को भी संख्याएँ दी जाएँगी। हर गाँव को पांदन सड़कों के लिए भी आधिकारिक संख्याएँ मिलेंगी। महाराष्ट्र के राजस्व विभाग ने इसे लेकर एक आदेश जारी किया है। इस निर्णय के तहत महाराष्ट्र के ग्रामीण रास्तों को संख्या देने का काम सभी जिलों में शुरू हो गया है। पांदन सड़कों, ग्रामीण क्षेत्र के भीतर की सड़कों, गाँवों की सड़कों और खेत में जाने वाली सड़कों को अब संख्याएँ दी जाएँगी।
समय-समय पर पुलिस विभाग की मदद लेकर सड़क की सीमा तय करके विवादों का निपटारा करने के मद्देनजर राजस्व विभाग ने ऐसा आदेश जारी करने का निर्णय लिया। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण, सीमावर्ती, कैरिजवे, पगडंडी, पांदन और खेत की सड़कें कई प्रकार की होती हैं। लेकिन समय-समय पर बनी नई सड़कों का पंजीकरण न होने के कारण, उनके उपयोग और अतिक्रमण को लेकर राज्य भर में शिकायतें आ रही हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने इन सड़कों की नाप-जोख करके उन्हें कोड नंबर यानी क्रमांक देने का निर्णय लिया है।
राज्य में मूल सर्वेक्षण कार्य 1890 से 1930 के बीच हुआ था। ये ग्रामीण सड़कें और पगडंडियाँ थीं। उस समय, इनकी नाप-जोख करके गाँवों के नक्शे बनाए जाते थे। इनमें इन दोनों प्रकार की सड़कों का उल्लेख होता था। हालाँकि, सर्वेक्षण में सड़क की ज़मीन दर्ज नहीं होती। अब ग्राम सभा के माध्यम से नाप-जोख शुरू होगी। अतिक्रमण हटाए जाएँगे और इसे भू-अभिलेख कार्यालय में सार्वजनिक सड़क के रूप में दर्ज किया जाएगा।
गाँव की सड़कों की पहचान होगी आसान
गाँव की सड़कों को प्रतीकात्मक नंबर दिए जाएँगे और राजस्व विभाग ने इसके लिए एक विशिष्ट तरीका तय किया है। यह अभियान प्रत्येक जिले के राजस्व अधिकारियों के माध्यम से शुरू किया गया है। इस पहल से प्रत्येक गाँव की सड़कों की पहचान आसान हो जाएगी। विकास कार्यों को गति मिलेगी और अतिक्रमण पर भी लगाम लगेगी। नक्शे पर सड़क नंबर स्पष्ट रूप से अंकित होंगे।

admin
News Admin