नशामुक्ति सेवाएं लेने वालों की संख्या में दो साल में 37 फीसदी की बढ़ोतरी
नागपुर: केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत देशभर में स्थापित किए गए सैकड़ों केंद्रों के माध्यम से परामर्श और नशामुक्ति सेवाएं लेने वालों की संख्या में दो साल में 37 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है.
कई जिलों में तरह-तरह के नशे की लत एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. खासकर स्कूली बच्चे और किशोर किशोरियां नशे के सौदागरों के जाल में फंस रहे हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 'किशोरों' पर विशेष फोकस किया है.
केंद्र सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से 6 से 11 वर्ष आयु वर्ग के छात्रों को ध्यान में रखते हुए एक विशेष मॉड्यूल विकसित किया गया है. इसके तहत, माता-पिता और शिक्षकों को यह सिखाने के लिए जागरुकता और शिक्षक प्रशिक्षक मॉड्यूल विकसित किए गए हैं कि छात्रों को नशे से कैसे दूर रखा जाए और नशे की लत वालों की पहचान और परामर्श कैसे दिया जाए. विभिन्न केंद्रों पर इस माध्यम से हजारों छात्रों को परामर्श दिया गया है.
272 जिले संवेदनशील
देश के 272 जिले नशीली दवाओं की बिक्री और तस्करी के लिहाज से संवेदनशील माने जाते हैं. इन सभी जिलों में नशा मुक्त भारत अभियान चलाया गया है. आठ हजार से ज्यादा वॉलंटियर्स के जरिए यह अभियान युवाओं तक पहुंचा जा रहा है. अभियान के माध्यम से अब तक 3.39 करोड़ युवाओं और 2.27 करोड़ महिलाओं सहित 10.73 करोड़ लोगों तक पहुंचा जा चुका है.
देश भर में 47 'सीपीआईएल' केंद्र
गृह मंत्रालय ने देश भर में 47 'सीपीआईएल' (समुदाय आधारित सहकर्मी नेतृत्व हस्तक्षेप) केंद्र स्थापित किए हैं. इन केंद्रों के माध्यम से किशोरों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. बच्चों को जागरुक कर उनकी नशे की लत खत्म कर उन्हें मुख्यधारा में लाने पर जोर दिया जा रहा है.
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