Nagpur: शीत सत्र के लिए राज्य के विभिन्न जिलों से बुलाए गए थे लगभग 6000 पुलिस कर्मचारी
नागपुर: नागपुर शीत सत्र के बंदोबस्त के लिए लगभग 6000 कर्मचारी राज्य के विभिन्न जिलों से बुलाए गए थे। 10 डीसीपी, 50 एसीपी, और 75 पुलिस निरीक्षकों को भी दूसरे जिलों से बुलाया गया था। इसके अलावा शहर पुलिस के सभी अधिकारी और 4000 पुलिसकर्मी भी बंदोबस्त में लगे थे।
सभी मंत्रियों की सुरक्षा के अलावा मोर्चों मैं शामिल होने वाले आंदोलनकारीयों काबू में रखना पुलिस के लिए सबसे बड़ा सिर दर्द होता है। मोर्चा के शिष्टमंडल को संबंधित विभाग के मंत्री से मिलवाने की जिम्मेदारी भी पुलिस विभाग की होती है। ऐसे में मंत्री का समय नहीं मिलने पर आंदोलनकारीयों और पुलिस के बीच काफी बार गहमागहमी भी हुई।
एक ही दिन में रोहित पावर की संघर्ष यात्रा और जुनी पेंशन के लिए सरकारी कर्मचारियों का भव्य मोर्चा था। इससे शहर की यातायात व्यवस्था लड़खड़ा गई थी। शाम के समय रोहित पावर ने सभा खत्म होने के बाद अपने समर्थकों के साथ विधान भवन पर जाने का प्रयास भी किया जिससे तनाव की स्थिति बन गई हालाकि पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद भीड़ को काबू किया।
मंगलवार को किसानों के एक बड़े मोर्चे को लेकर रविकांत तुपकर द्वारा एक बड़ा आंदोलन किए जाने का इनपुट भी पुलिस को मिला था। इसलिए शहर पुलिस ने मोर्चा निकालने से पहले ही तुपकर सहित 300 लोगों को डिटेन कर लिया। सुरक्षा व्यवस्था का सही नियोजन होने के कारण कहीं भी कोई गड़बड़ी नहीं हुई। हालांकि इस शीत सत्र के दौरान यातायात व्यवस्था जरूर लड़खड़ा गई और इसका खामियाजा भी सामान्य नागरिकों को भुगतना पड़ा।
हालांकि, पहली बार नागरिको ने डीसीपी स्तर के अधिकारियों को सड़क पर खड़े रहकर यातायात व्यवस्था संभालते हुए भी देखा। बुधवार को शीत सत्र की समाप्ति के साथ ही पुलिस ने भी कुछ राहत की सांस जरूरी ली है। इस बार कुल 257 संगठनों ने विधान भवन पर हाजिरी लगाई और हर बार की तरह इस बार भी उनकी झोली में कुछ नहीं आने से वे मायूस होकर बेरंग अपने घरों को लौट गए।
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