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Nagpur

विवादों के बीच एनवीसीसी में प्रशासक की नियुक्ति


नागपुर: विदर्भ में व्यापारियों की संस्था नाग विदर्भ ऑफ़ चेंबर ऑफ़ कॉमर्स में प्रशासक की नियुक्ति की गई है.संस्था में अधिकारों के टकराव के बीच कुछ पूर्व अध्यक्षों ने नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में शिकायत दर्ज कराई थी.कई पूर्व अध्यक्ष अश्विन मेहड़िया के कामकाज से खुश नहीं थे और उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए थे.मामले में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद एनसीएलटी ने कॉरपोरेट मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी की प्रशासक के रूप में नियुक्ति किये जाने का आदेश जारी किया गया है.

नागपुर समेत विदर्भ के 13 लाख से अधिक व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था एनवीसीसी का कामकाज बीते कुछ वक्त से विवादों में रहा है.संस्था के एक धड़े ने अध्यक्ष अश्विन मेहाड़िया के कामकाज पर सवाल उठाते हुए मोर्चा खोल दिया था.इस मोर्चे की अगुवाई करने वाले संस्था के ही पूर्व अध्यक्ष दीपेन अग्रवाल के मुताबिक बीते 75 वर्ष पुरानी इस संस्था को प्राईवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाया जा रहा था जिससे व्यापारियों की भावनाये आहत हो रही थी.इन्ही अनियमितताओं को लेकर हम एनसीएलटी गए थे जहां प्रशासन की नियुक्ति का फैसला आया है जिसका हम स्वागत करते है.

दीपेन अग्रवाल की मांग है की अब इस निर्णय के आने के बाद अध्यक्ष अश्विन मेहाडिया को नैतिकता के आधार पर अपना पद छोड़ना चाहिए और अगर वो इस पर क़ानूनी लड़ाई लड़ना चाहते है तो इसके लिए संस्था के पैसे का इस्तेमाल न करें।दूसरी तरफ अश्विन मेहाडिया ने खुद पर काज आरोपों को ख़ारिज किया है और इस मसले पर आगे क़ानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है.

अनियमितता के आरोप सरासर गलत

मेहाडिया का यह भी कहना है की उन पर उनकी बॉडी पर लगाए जाने वाले अनियमितता के आरोप सरासर गलत है और सिर्फ एक व्यक्ति व्यापारियों की इस संगठन को बदनाम करने का काम कर रहे है.बहरहाल इस निर्णय के बाद अब एनवीसीसी का कामकाज कंपनी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी देखेंगे।