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Nagpur

Ram Mandir निर्माण में नागपुर का अहम् योगदान, गिरीश सहस्त्रभोजनी पर डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन मैनेजर की जिम्मेदारी


नागपुर: अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्म भूमि मंदिर का  उद्घाटन 22 जनवरी को होने वाला है. इसका इंतजार देशवासियों को है..नियोजित समय पर मंदिर के निर्माण को लेकर काम युद्धस्तर पर शुरू है. ये संयोग है की रामजन्मभूमि आंदोलन से लेकर इसके निर्माण के सफर में सीधी और अहम हिस्सेदारी नागपुर की है. मंदिर निर्माण के शुरू काम काज में अहम भूमिका मूल रूप से नागपुर के रहने वाले गिरीश सहस्त्रभोजनी का है जो प्रोजेक्ट में डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन मैनेजर की जिम्मेदारी संभाल रहे है. खास है की गिरीश मौजूदा दौर में तैयार हुए विश्व में तैयार हुए इंफ्राटक्चर की मिसाल माने जाने वाले प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे है.

राम के जन्मस्थान पर राम का मंदिर साकार हो रहा है. 22 जनवरी को रामलला अपने जन्मस्थान पर बाल रूप में विराजित हो जायेंगे। राम के देश में राम ने त्रेता युग से भी अधिक समय तक अपनी जन्मस्थली का वनवास झेला। राम भारत में रहने वाले लोगो के मन में रचे बसे है लेकिन अपनी अयोध्या में अपने ही महल से दूर थे. सहज और मर्यादा के दायरे में बंधे राम अपने महल से दूर किये गए लेकिन अब वो कलियुग में लागू  संविधान की मर्यादा के निर्णय से वापस अपने मूल स्थान पर विराजमान हो रहे है. राम मंदिर आंदोलन का एक लंबा इतिहास रहा है.

रामलला के विस्थापन से लेकर उनकी मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा के कालखंड तक का जब-जब जिक्र होगा तब तब अयोध्या के साथ नागपुर का भी जिक्र होगा। नागपुर की भूमिका राम के लिए आंदोलन करने से लेकर उनके लिए भव्य मंदिर बनाने में भी है. इस काम मे कई नामों की फ़ेहरिश्त है.. इसी में एक नाम शामिल है.. गिरीश सहस्त्रभोजनी का. गिरीश इस समय अयोध्या में है और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के निर्माण कार्य में डिजाईन एंड कंस्ट्रक्शन मैनेजर की जिम्मेदारी संभाल रहे है. यानि की मंदिर निर्माण का जो काम हो रहा है वह गिरीश सहस्त्रभोजनी की निगरानी और मार्गदर्शन में है. वो मंदिर ट्रस्ट की कंस्ट्रक्शन कमेटी के सदस्य है.

बुर्ज-खलीफा के स्टील वर्क के रह चुके इंचार्ज

गिरीश सहस्त्रभोजनी का जन्म नागपुर में हुआ है। उन्होंने वीएनएटी से सिविल इंजीनियरिंग की पढाई की है। इसके बाद आईआईटी बम्बई से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की। बीते 47 साल से गिरीश सहस्त्रभोजनी कंस्ट्रक्शन फिल्ड से जुड़े है। उन्होंने दुनिया भर में कर तरह से कंस्ट्रक्शन से जुड़े काम किये है। इन कामो में कई ऐसे काम है जिन्हे मौजूदा समय में कंस्ट्रक्शन के काम का माइलस्टोल माना जाता है। गिरीश सहस्त्रभोजनी दुबई में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी बिल्डिंग बुर्ज ख़लीफ़ा प्रोजेक्ट में स्टील वर्क के इंचार्ज रह चुके है। 

रशिया के सेंट पीटरस्बर्ग में स्थित यूरोप की सबसे बड़ी ईमारत कैसे बनेगी, इसकी योजना तैयार की थी और काम किया है। इसके अलावा अबूधाबु में स्थित शेख जायद नेशनल म्यूजियम भी सहस्त्रभोजनी के कंस्ट्रक्शन मैथडोलॉजी से तैयार हुई है।

आंदोलन के दौरान कर चुके कार सेवा 

अब गिरीश सहस्त्रभोजनी अयोध्या में शुरू मंदिर निर्माण से जुड़े हुए है और लंबे समय से अयोध्या में ही रह रहे है. दुनिया की प्रमुख इमारतों को तैयार करने वाले सहस्त्रभोजनी राम मंदिर प्रोजेक्ट से न केवल तकनिकी बल्कि भावनात्मक जुड़ाव भी रखते है. सबसे खास है की वो 1090 और 1992 में मंदिर निर्माण आंदोलन आंदोलन के दौरान हुई कर सेवा का हिस्सा रहे है.