New Year 2024: लोकसभा- विधानसभा सहित मनपा चुनाव, मराठा-धनगर आरक्षण सहित कई मुद्दों पर रहेगा सबका ध्यान
नागपुर: नव वर्ष 2024 (New Year 2024) की शुरूआत हो चुकी है। देश सहित राज्य की जनता ने धूम धाम से नव वर्ष का स्वागत किया है। बीते साल राज्य के वासियों ने जहां उतार चढ़ाव का दौर देखा, वहीं 2024 को लेकर जनता में बड़ी आशा है। इस वर्ष कई ऐसे घटना होने वाली है, जिस पर नागरिकों की नजरे रहेगी।
लोकसभा चुनाव
इस वर्ष देश का सबसे बडा चुनाव यानी लोकसभा के लिए मतदान किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी नित एनडीए जहां लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करना चाहेगी। वहीं कांग्रेस नित इंडी गठबंधन भाजपा को हटाकर सरकार में आने का प्रयास करेगी। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। 2024 का चुनाव पहला ऐसा चुनाव होगा जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष की तीन-तीन प्रमुख दल मिलकर लडेंगे।
यही नहीं यह पहली बार ऐसा होगा जब शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दो गुटों में बंटी हुई हैं और दोनों एक दुसरे के खिलाफ चुनाव लडेंगे। एकनाथ शिंदे और अजित पवार की अगुवाई में शिवसेना-एनसीपी का एक गुट सत्ता में शामिल है, वहीं एक गुट विपक्षी महावीकास आघाड़ी में शामिल है। इस चुनाव में तीनों पार्टियों में किस तरह का सीटों का बटवारा होगा और क्या रणनीति रहेगी उस पर सभी की नजर रहेगी।
विधानसभा चुनाव
इस वर्ष की आख़िर में विधानसभा चुनाव भी होंगे। वर्तमान में भाजपा की अगुवाई में महायुति की सरकार सत्ता में बैठी हुई है। इस गठबंधन में भाजपा के साथ एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अजीत पवार गुट शामिल है। वहीं विपक्ष में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार का गुट है। बीते ढाई साल से राज्य के अंदर राजनितिक उथल पुथल मची हुई है। इस चुनाव में जहां सत्ता सत्ता पक्ष जहां तिसरी बार सत्ता में काबिज होना चाहेगा, वहीं विपक्ष सत्ता पक्ष को हराकर अपना बदला लेना चाहेगा। हालांकि, इन सबसे पहले दोनों गठबंधनों में शामिल पार्टियों में सीटों का बटवारा किस तरह होगा यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
मनपा चुनाव
बीते 21 महिने से नागपुर सहित राज्य के तामाम प्रमुख महानगर पालिका चुनाव के इंतजार में बैठे हुए हैं। मार्च महीने में मनपा का कार्यकाल समाप्त हुए दो साल पूरे हो जाएंगे। वर्तमान में मनपा में ओबीसी आरक्षण को लेकर चुनाव रुके हुए हैं। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है। एक तरफ़ जहां विपक्ष सत्ता पक्ष पर हार के डर से चुनाव नहीं कराने का आरोप लगा रहा है। वहीं सत्ता पक्ष कोर्ट में लंबित मामले का हवाला दे रहा है। हालांकि, इस वर्ष लोकसभा विधानसभा के साथ मनपा का चुनाव होने की आशा नागरिकों और राजनीतिक दलों को है।
मराठा और धनगर आरक्षण
2023 में राज्य के अंदर जिन मुद्दों की सबसे ज्यादा चर्चा हुई वह है आरक्षण। मराठा के साथ धनगर लगातार आरक्षण की मांग कर रहा है। बीते साल सबसे ज्यादा ध्यान मराठा आरक्षण को लेकर शुरू आंदोलन पर रहा। इसको लेकर समाज द्वार कई आंदोलन किया गया, वहीं कई यह जगह हिंसक भी हुआ। आरक्षण की मांग करते हुए आंदोलन ने राज्य के कई जिलों में आगजनी भी की। राज्य सरकार ने समाज को आरक्षण देने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने फरवरी महीने में विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण देने का ऐलान राज्य के शीतकालीन सत्र में किया। मारता के साथ धनगर आरक्षण का मुद्दा चर्चा का विषय रहा। धनगर समाज खुद को ओबीसी से एसटी वर्ग में शामिल करने की मांग कर रहा है। मराठा की तरह धनगर को भी उनका हक देने का वादा सरकार ने किया है, अब देखना होगा की इन मुद्दों का निराकरण सरकार कैसे करती है।
क्या एक होगी एनसीपी?
बीते वर्ष जूलाई महीने में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने अपने साथियों के साथ महायुति में शमिल हो गए। सरकार में अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया, वहीं उनके नौ विधायको को मंत्री बनाया गया। भतीजे के बगावत के बाद भी शरद पवार विपक्षी महाविकस आघाड़ी में शामिल है। हालांकि, वह हो या उनके गुट के नेता अजीत पवार पर उस तरह का हमला नही कर रहे जैसे एकनाथ शिंदे पर उद्भव ठाकरे गुट नेताओं द्वारा की जा रही है। वहीं अजीत पवार लगातार शरद पवार के साथ मुलाकात कर रहे हैं। फिर चाहे पारिवारिक कार्यक्रम हो या अन्य कोई कार्यक्रम। इन सब को देखते हुए सभी का ध्यान पवार परिवार पर लगा हुआ है कि, क्या एनसीपी फिर से एक होगी?
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