एक ही दिन में 27 शवों का पोस्टमॉर्टेम, हीट वेव से मरने वाले मरीजों का कोई रिकॉर्ड नहीं

नागपुर: भीषण गर्मी के चलते शहर में मौत के आंकड़े बढ़ने लगे हैं. इनमें अस्पतालों में भर्ती मरीजों के साथ ही फुटपाथ सहित खुले आसमान में रहने वाले अधिकांशत लोग शिकार हो रहे हैं. पिछले एक महीने में मेडिकल और मेओ अस्पताल में सबसे अधिक लावारिस लाशे पोस्टमार्टम के लिए लाई गई. एक दिन पहले ही मेडिकल के पोस्टमार्टम गृह में 27 शवों का पोस्टमार्टम किया गया. हालांकि इसी बीच प्रशासन ने शहर में लू लगने से कोई भी मौत नहीं होने का खुलासा किया.
नागपुर शहर का तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया है. भीषण गर्मी की चपेट में शहर भट्टी की तरह जल रहा है. गर्मी के इस मौसम में ऊष्माघात से मरने वालों की संख्या बढ़ गई है. परंतु स्थानीय प्रशासन द्वारा इस गर्मी में अब तक किसी के भी लू लगने से मौत होने का कोई भी खुलासा नहीं किया है. परंतु वास्तविकता इससे परे दिखाई दे रही है. मेडिकल अस्पताल में 1 मई से 30 मई तक कुल 307 शवों का पोस्टमार्टम किया गया. जिनमें 16 शव अज्ञात थे.
एक ही दिन 27 शवों का पोस्टमार्टम
मेडिकल अस्पताल में हर दिन अमूमन 10 से 15 पोस्टमार्टम किए जाते हैं. शुक्रवार को एक ही दिन 27 शवों का पोस्टमार्टम किया गया. हालांकि लावारिस होने के चलते शवों को रखने के लिए जगह कम पडने लगी है. 48 घंटे तक लावारिस शवों को शीतग्रह में रखा जाता है और बाद में परिजनों के नहीं मिलने के बाद उन्हें पुलिस द्वारा शमशान घाट में अंतिम संस्कार किया जाता है.
कुल 400 की मौत
मेडिकल हॉस्पिटल में महीने भर में ट्रामा सेंटर में 91 मरीजों की मृत्यु हुई. जबकि अस्पताल में कुल 400 की मौत हुई. इसमें 44 लोगों को घायल अवस्था में लाया गया था जिन्हें उपचार के बाद मृत घोषित किया, उनकी भी पहचान नहीं हो सकी है. वही मेओ अस्पताल में भर्ती मरीजों में से 110 की मृत्यु हुई है जबकि 44 शव लावारिस अवस्था में इलाज के लिए लाये गए थे, जिन्हें जांच के बाद मृत घोषित किया गया.
काम से बचने के लिए
महानगर पालिका सहित सरकारी और निजी अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीजों का महज बुखार के मरीज के रूप में इलाज किया जा रहा है. ताकि ऊष्माघात के मरीजों का रिकॉर्ड रखने और मनपा, जिला शल्य चिकित्सक से लेकर स्वास्थ्य उपसंचालक व वैद्यकीय संचालक तक जानकारी भेजने से बचा जा सके. पिछले पांच दिनों में ही तापमान 43 से 45 डिग्री के बीच बना हुआ है. अत्यधिक गर्मी के कारण शरीर का तापमान संतुलित नहीं रह पाता और हीट स्ट्रोक होता है. इसलिए मेओ और मेडिकल अस्पताल सहित मनपा अस्पतालों में कोल्ड रूम तैयार किए गए हैं. लेकिन मेओ अस्पताल में ही केवल दो लोगों के भर्ती होने की जानकारी है. लू के मरीजों का रिकॉर्ड रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग को सूचना भेजने समेत अन्य कार्य करने होते हैं और इससे बचने के लिए डॉक्टर हीट स्ट्रोक के मरीज को बुखार का मरीज बता दिया जाता है.
अधिकांश बेघर लोग
दूसरी सबसे बड़ी बात शहर में लू लगने से मरने वाले अधिकांश लोग खुले आसमान के नीचे रहने वाले लोग थे जिनके मरने के बाद प्रशासन से उनकी मौत का सवाल पूछने वाला कोई भी नहीं है.

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