18 दिन बाद प्रिंस ने भी तोडा दम

नागपुर: 15 जनवरी को पिता ने अपने दो बच्चों को जहर देने के बाद गला घोंट दिया था। इसमें बेटी तनिष्का की मौके पर ही मौत हो गई थी। बेटा प्रिंस मेडिकल में भर्ती था। उम्मीद थी कि, प्रिंस बच जाएगा, लेकिन 18 दिन बाद कल शुक्रवार को प्रिंस ने मेडिकल में दम तोड़ दिया। प्रिंस को अतिदक्षता विभाग में रखा गया था। डॉक्टरों ने दिन-रात एक कर प्रिंस को बचाने का प्रयास किया, लेकिन उपचार को प्रतिसाद नहीं मिला।
प्रिंस अपने पिता के पागलपन के कारण जान गवां बैठा। बहन तनिष्का ने घटना के ही दिन दुनिया को अलविदा कह दिया था। मूलत: बालाघाट निवासी मनोज वाठोड़ा इलाके में रहता था। पड़ोस में रहने वाली प्रियंका उर्फ प्रिया से उसके प्रेम संबंध स्थापित हो गए। करीब ग्यारह वर्ष पहले उनका अंतरजातीय कोर्ट मैरेज हुआ। कुछ वर्षों तक सब ठीक-ठाक चला। फिर मनोज शराब पीने के आदी हो गया। कलह होने लगी तो प्रियंका बच्चों के साथ पिता राजू तल्हार के यहां चली आई। वह भी वाठोड़ा में ही रहता है। प्रियंका एक कपड़े की दुकान में काम करने लगी और वाठोड़ा के ही विद्या नगर में किराए का कमरा लेकर बच्चों का पालन-पोषण करने लगी। लोगों ने दोनों के बीच की तल्खी को दूर करने का प्रयास किया, तो समझौता हुआ।
आपसी समझौते के तहत अब प्रियंका हर रविवार को अपने दोनों बच्चों को उनके पिता से मिलने भेजती थी। इस बार रविवार को मकर संक्रांति होने से बच्चे पिता के पास जाने के लिए तैयार नहीं थे, क्योंकि उनके नाना राजू ने पतंग और धागा खरीद कर दिया था। मनोज ने बच्चों को यह कहकर बुलाया कि वह भी उन्हें अच्छी पतंग और मांजा खरीद कर देगा। नाना ने बच्चों को मनोज के घर के पास के छोड़ दिया। शाम तक बच्चे वापस नहीं आए, तो प्रियंका ने पिता को फोन कर उन्हें वापस लाने के लिए कहा। नाना राजू बच्चों को लेने गया तो कमरे का दरवाजा भीतर से बंद था।
आवाज देने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो दरवाजे के होल से उसने भीतर झांक कर देखा। वह आवाक रह गया। मनोज फांसी पर लटका हुआ था। पड़ोसियों की सहायता से मनोज को फांसी से नीचे उतारा गया। बच्चे जमीन पर पड़े हुए थे। तीनों को मेडिकल अस्पताल ले जाया गया। वहां पर चिकित्सकों ने मनोज, तनिष्का की मृत्यु होने की पुष्टि की, जबकि प्रिंस गंभीर हालत में था। उसे अतिदक्षता विभाग में भर्ती किया गया। आशंका व्यक्त की जा रही है कि मनोज ने बच्चों को शीतपेय में जहर मिलाकर दिया और बाद में उनका गला घोंट दिया। दोनों बच्चों की गर्दन पर गला घोंटने के निशान थे।

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