संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया एलजीबीटी समुदाय का समर्थन; कहा- यह बायोलॉजिकल, उन्हें भी मिले उनका स्थान

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने एलजीबीटी समुदाय (LGBT Community) का समर्थन किया है। भागवत ने कहा, "यह बायोलॉजिकल है। मनुष्यों में यह प्रकार पहले से है। जब से मनुष्य आया है, तब से है। उनका अलग प्रकार है। उसके अनुसार उनको एक अलग निजी जगह भी मिले और सारे समाज के साथ हम भी है, ऐसा भी उनको लगे।" संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर और पांचजन्य से बात करते हुए यह कही।
संघ प्रमुख ने कहा, "तृतीयपंथी लोग समस्या नहीं हैं। उनका अपना सेक्ट है, उनके अपने देवी-देवता है। अब तो उनके महामंडलेश्वर भी हैं। कुम्भ में भी उनको स्थान मिलता है। वह जन-जीवन का हिस्सा हैं, घर में जन्म होता है तो वह गाना गाने के लिए आते हैं। परंपराओं में उनको समाहित कर लिया है। उनका एक अलग जीवन भी चलता है और सारे | समाज के साथ कहीं न कहीं जुड़ कर भी वे काम करते हैं। हमने कभी इसका हवाला नहीं दिया। इसको एक अंतरराष्ट्रीय संवाद का विषय नहीं बनाया है।"
यह सामन्य, पर हो हल्ला ज्यादा
भगवान कृष्ण का उदहारण देते हुए भागवत ने कहा, "जरासंध के दो सेनापति थे हंस और डिंभक। दोनों इतने मित्र थे कि कृष्ण ने अफवाह फैलाई कि डिंभक मर गया, तो हंस ने आत्महत्या कर ली। दो सेनापतियों को ऐसे ही मारा। यह क्या था? यह वही चीज है। दोनों में वैसे संबंध थे। मनुष्यों में यह प्रकार पहले से है। जब से मनुष्य आया है, तब से है। मैं जानवरों का डॉक्टर हूं, तो जानता हूँ कि जानवरों में भी ग्रह प्रकार होता है। यह बाइलॉजिकल है। लेकिन उसका बहुत हो हल्ला है।"
समाज में उनको मिले एक जगह
उन्होंने कहा, "उनको भी जीना है। उनका अलग प्रकार है। उसके अनुसार उनको एक अलग निजी जगह भी मिले और सारे समाज के साथ हम भी है, ऐसा भी उनको लगे। इतनी साधारण सी बात है। हमारी परंपरा में इसकी व्यवस्था बिना हो हल्ले होती है। हम करते आए हैं। हमको ऐसा विचार आगे करना पड़ेगा। क्योंकि बाकी बातों से हल निकला नहीं और न ही निकलने वाला है। इसलिए संघ अपनी परंपरा के अनुभव को भरोसेमंद मानकर विचार करता है।"

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