Washim: विज्ञान के साथ धर्म जुड़ जाए तो जीवन सार्थक हो जाता है: मोहन भागवत

वाशिम: धर्म और अध्यात्म की शक्ति से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन विज्ञान की सीमाएं हैं। धर्म सत्य, करुणा, तपस्या और सुचिता के चार स्तंभों पर खड़ा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा.मोहन भागवत ने कहा कि विज्ञान के साथ धर्म जुड़ जाए तो जीवन सार्थक हो जाता है।
करंजा के स्वामी नृसिंह सरस्वती महाराज की जयंती समारोह इस समय चल रहा है। वे उस अवसर पर 'विज्ञान के युग में धर्म का महत्व' विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे। इस अवसर पर बाबासाहेब तारादे, विनायक सोंटाकके, प्रकाश खुले सहित संस्थान के अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सरसंघचालक ने कहा कि विकास के दौरान पर्यावरण का ध्यान नहीं रखा जाता है। इसलिए ग्लोबल वार्मिंग की समस्या सामने आ रही है। विज्ञान में भी प्रतिष्ठा महत्वपूर्ण है। विज्ञान को एक प्रयोगशाला की जरूरत है। लेकिन अध्यात्म को प्रयोगशाला की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि विज्ञान सभी सुविधाएं देगा लेकिन उत्थान और संतुष्टि नहीं देगा। इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।

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