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हिंदी को लेकर की जा रही राजनीति, चंद्रशेखर बावनकुले बोले- मराठी भाषा पर कोई समझौता नहीं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी पढ़ना जरुरी


नागपुर: महराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर माहौल गर्माने का प्रयास किया जा रहा है। राज ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और कांग्रेस लगातार मराठी भाषा को समाप्त करने के लिए हिंदी भाषा को थोपने का आरोप लगा रहे हैं। यही नहीं मनसे ने निर्णय के खियलद सड़क पर उतरने का ऐलान भी कर दिया है। वहीं अब इस मुद्दे पर महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने टिप्पणी की है। बावनकुले ने कहा कि, "हिंदी को लेकर राज्य में राजनीति की जा रही है।" यही नहीं बावनकुले ने यह भी कहा कि, मराठी भाषा पर कोई समझौता नहीं किया जायेगा ,लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर हिंदा पढ़ना भी जरुरी है।"

बयान पर बावनकुले ने दिया स्पष्टीरकण 
हिंदी को राष्ट्रभाषा बताने के सवाल पर भाजपा अध्यक्ष ने स्पष्टीकरण दिया है। चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, "मेरे बयान पर राजनीति हो रही है, दरअसल कल मैंने गलती से हिंदी को राष्ट्रभाषा कह दिया, मुझे इसके बजाय राजभाषा कहना चाहिए था। हिंदी राजभाषा है। कल मैंने कहा था कि यह राष्ट्रभाषा है।" बावनकुले ने कहा, "मेरे कहने का मतलब यह था कि कुछ लोग हिंदी को आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार करने की आलोचना करते हैं। इस देश में लगातार विकास किया जा रहा है, लेकिन इसे रोकने के लिए विरोधियों द्वारा बहुत काम किया जा रहा है।" बावनकुले ने यह भी कहा कि, "मराठी पहचान, मराठी लोगों के लिए मराठी हमारी भाषा होनी चाहिए।"

'देश में 60 प्रतिशत राज्य प्रशासन हिंदी में है'
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बावनकुले ने कहा, "अगर हम इस देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विचार करें तो उसमें हिंदी विषय होगा। अगर हिंदी को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है तो इस पर इतना बड़ा राजनीतिकरण, विरोध और मारपीट करना ठीक नहीं है। मराठी भाषा पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। लेकिन सभी को हिंदी आनी चाहिए।"

उन्होंने आग कहा, "उत्तर प्रदेश या देश के अन्य हिस्सों में यात्रा करते समय, कुछ लोग अंग्रेजी, हिंदी, तमिल बोलते हैं। इसलिए, कम से कम एक आम भाषा, आधिकारिक भाषा, हिंदी, आमतौर पर जानी जाती है। देश के 60 प्रतिशत राज्यों में, हिंदी में काम होता है, उस राज्य की भाषा और पहचान को बनाए रखने और हिंदी सीखने में कुछ भी गलत नहीं है।"