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बुलढाणा छोड़ दूसरे चरण में पिछली बार की तुलना में ज्यादा मतदान; किसे मिलेगा फायदा, किसके लिए खतरे की घंटी


नागपुर: विदर्भ की सभी सीटों पर मतदान समाप्त हो चूका है। पहले चरण यानी 19 अप्रैल को नागपुर, गोंदिया-भंडारा, गडचिरोली, रामटेक और चंद्रपुर को मतदान हुआ, वहीं वर्धा, अमरावती, यवतमाल-वाशिम, बुलढाणा और अकोला सीट पर दूर चरण यानी 26 अप्रैल को वोट डाले गए। 2019 के मुकाबले बुलढाणा को छोड़ दें तो इसबार बाकी चार सीटों पर पिछली बार की तुलना में ज्यादा मतदान हुआ है। जिसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि,ज्यादा मतदान किसे फायदा होगा और किसे नुकसान होगा।

दूसरे चरण पांच सीटों पर इतना हुआ मतदान 

पहले चरण की पांच सीटों पर जहां 55.35 प्रतिशत मतदान हुआ, वहीं दूसरे चरण में 62.94 प्रतिशत मतदान हुआ। चुनाव आयोग द्वारा जारी आकड़ो के अनुसार, 2024 में वर्धा 64.85, अकोला 61.79, अमरावती 63.86, बुलढाणा 62.03 और यवतमाल-वाशिम सीट पर 62.18 प्रतिशत मतदान हुआ। 2019 की बात करें तो उस समय औसतन 61.45 प्रतिशत मतदान हुआ था। यानी की इस बार करीब 1.48 प्रतिशत ज्यादा। 

ज्यादा वोटिंग से किसे फायदा
बीते चार लोकसभा चुनावों का आकलन करें तो कम मतदान हमेशा कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों के लिए फायदे का रहा है, वहीं ज्यादा मतदान भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में गया है। 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव के समय कम मतदान हुआ, जिसके कारण कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए सत्ता में लौटी। वहीं 2014 और 2019 में जब ज्यादा मतदान हुआ तो भारतीय जनता पार्टी वापस लौटी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। हालांकि, पिछले कुछ विधानसभा चुनावों को देखें तो कम मतदान होने के बावजूद सत्ता में रही पार्टियां दोबारा सरकार बनाने में कामयाब रही है। गुजरात और छत्त्तीसगढ़ ताजा उदहारण है। 

2024 लोकसभा चुनाव में विदर्भ की सभी 10 सीटों पर मतदान हो चूका है। दो चरणों के तहत मतदान हुआ है। इसके तहत औसतन 59.14 प्रतिशत मतदान हुआ है। जो पिछली बार की तुलना में करीब तीन प्रतिशत की कमी है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन में क्रमशः 10 और आठ सीटें जीती थी। कम मतदान की बात करें तो नागपुर में 2014 में 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ, जिसके कारण नितिन गडकरी करीब 2.84 लाख से ज्यादा वोटों से जीते। वहीं 2019 में मतदान का प्रतिशत कम हुआ तो गडकरी का जीत का मार्जिन कम होकर दो लाख से कुछ ज्यादा रह पाया।