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गोला-बारूद कारखाने बने मौत के अड्डे, दो सालों में विभिन्न दुर्घटनाओं में 17 श्रमिकों की मौत


नागपुर: भंडारा जिले के जवाहरनगर में शुक्रवार को एक आयुध निर्माण कंपनी में हुए विस्फोट में आठ श्रमिकों की मौत हो गई। हालांकि, दो वर्षों में नागपुर जिले में दो ऐसी ही दुर्घटनाओं में 17 श्रमिकों की मौत हो गई। पिछले दो वर्षों में नागपुर के निकट बाजारगांव स्थित सोलर एक्सप्लोसिव्स और धमना स्थित चामुंडी कंपनी में हुए अलग-अलग विस्फोटों में 17 से अधिक श्रमिकों की मौत हो चुकी है।

विदर्भ में कुछ सरकारी और निजी आयुध कारखाने हैं जो गोला-बारूद बनाते हैं। यहां सैन्य उपयोग के लिए बम, रॉकेट, बम के गोले और अन्य हथियार बनाए जाते हैं। वर्ष 2016 में पुलगांव के एक शस्त्रागार में भीषण आग लगने से 17 से अधिक नागरिक मारे गए थे। इस घटना में कई लोग गंभीर रूप से झुलस गए। डेढ़ साल पहले नागपुर के पास बाजारगांव में सौर विस्फोटक उद्योग में विस्फोट हुआ था, जिसमें नौ श्रमिकों की मौत हो गई थी।

इस बीच, सात-आठ महीने पहले धमना स्थित चामुंडी कंपनी में विस्फोट हुआ था, जिसमें कुल नौ श्रमिकों की मौत हो गई थी। इसलिए, विदर्भ में गोला-बारूद कंपनियों में विस्फोटों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप हताहतों की संख्या में वृद्धि हो रही है। लगातार बढ़ती घटनाओं ने यहां गोला-बारूद कंपनी द्वारा श्रमिकों के लिए किए गए सुरक्षा उपायों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भंडार आयुध निर्माण कंपनी में हुए विस्फोट ने इन सभी घटनाओं को एक बार फिर प्रकाश में ला दिया है।

भंडारा में क्या हुआ?

भंडारा जिले के जवाहरनगर स्थित एक आयुध निर्माण कंपनी में शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे बड़ा विस्फोट हुआ। इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई। वहीं, कई श्रमिकों और अन्य नागरिकों की मौत हो गई है। विस्फोट से पूरा इलाका हिल गया। विस्फोट से पांच किलोमीटर की दुरी तक आवाज आई। आयुध कारखाने में हुए विस्फोट से नागरिक भयभीत हो गए। विभिन्न जांच एजेंसियां ​​विस्फोट का कारण जानने के लिए काम कर रही हैं। बचाव अभियान पूरा होने के बाद ही मौतों और घायलों की सही संख्या स्पष्ट हो सकेगी।

पुलगांव घटना क्या थी?

मई 2016 में वर्धा जिले के पुलगांव स्थित केंद्रीय गोला-बारूद डिपो (सीएडी कैंप) में भीषण आग लग गई थी, जो देश का सबसे बड़ा सैन्य हथियार डिपो है। आग लगने के बाद हुए विस्फोट में दो सैन्य अधिकारियों सहित 17 लोग मारे गये। कई लोग घायल हो गए। इसलिए कुछ दिनों बाद मरने वालों की संख्या भी बढ़ गई।