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Nagpur

अनिल देशमुख ने अजित पवार पर किया बड़ा दावा, कहा- मुझे भी दिया था मंत्री पद का ऑफर


नागपुर: अजित पवार (Ajit Pawar) के अपने 32 विधायकों के साथ शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो चुके हैं। पवार के इस निर्णय के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और राज्य की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। इसी बीच एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) ने बड़ा दावा किया है। देशमुख ने मुझे भी अपने गुट में शामिल होने और सरकार में मंत्री पद का ऑफर दिया था।  

देशमुख ने रविवार को नागपुर प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता बुलाई थी, जहां सवाल के जवाब देते हुए यह बात कही। देशमुख ने कहा, "पार्टी का वरिष्ठ नेता होने के कारण अन्य लोगों की तरह मुझे भी ऑफर दी गई थी, लेकिन मैंने वह नहीं मानी, जिसके कारण आज मैं इधर बैठा हुआ हूँ।" इस बैठक में नागपुर शहर और जिला कांग्रेस के तमाम नेता मौजूद रहे। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने शरद पवार के प्रति अपनी निष्ठा जताते हुए उनके समर्थन के पोस्टर भी पकड़े हुए थे।

देशमुख ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि,"एनसीपी में जो भी शुरू है उसके पीछे भाजपा के  वरिष्ठ नेताओं का हाथ है। भाजपा को समझ आ गया था कि, वह अब चुनाव नहीं जीत सकते हैं। इसलिए उन्होंने एक साल पहले से पार्टियों को तोड़ने का काम शुरू किया। पहले शिवसेना को तोड़ा। इसके बाद भी जब कुछ खास होता नहीं दिखाई दिया तो इन्होने एनसीपी को तोड़ने का काम शुरू किया। भाजपा अपने काम में सफल रही और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ उनके साथ चले गए।"

कार्यकर्ता शरद पवार के साथ 

देशमुख ने कहा, "जिले और शहर के सभी प्रमुख नेता-पदाधिकारी शरद पवार के साथ खड़े हुए हैं। गोंदिया-भंडारा को छोड़कर पुरे विदर्भ में भी पार्टी के नेता पवार के साथ खड़े हुए हैं।" उन्होंने आगे कहा, "उसी तरह विदर्भ के बाहर के भी अधिकतर जिलों के कार्यकर्ताओं ने शरद पवार के साथ खड़े होने का ऐलान कर दिया है।

इस तोड़फोड़ से जनता हुई परेशान

देशमुख ने कहा कि,"पिछले एक साल से राज्य में जो तोड़फोड़ की राजनीति की जा रही है। इससे जनता पूरी तरह ऊब चुकी है। जनता यह तमाषा देख रही है। मौजूदा समय में राज्य के सामने कई दिक्कतें हैं, लेकिन उन सब को बाजू में रखकर तोड़फोड़ का काम किया जा रहा है।" उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र की पहचान एक प्रगतिशील और आगे बढ़ने वाले राज्य के तौर पर होती है, लेकिन भाजपा के कारनामा के कारण आज उसे बदनाम किया जा रहा है। जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।"