logo_banner
Breaking
  • ⁕ रामझुला ओवरब्रिज से 19 लाख के प्रोजेक्टर लाइट हुए चोरी, मनपा अधिकारी की शिकायत पर पुलिस ने मामला किया दर्ज ⁕
  • ⁕ राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले का सुलेखा कुंभारे को नोटिस, कहा - मानहानि के लिए बिना शर्त मांगें माफी, वरना होगी कानूनी कार्रवाई ⁕
  • ⁕ मौसम विभाग ने विदर्भ के कुछ इलाकों में 7 और 8 दिसंबर को शीतलहर की जारी की चेतावनी ⁕
  • ⁕ अधिवेशन में पांच दिन काम होने की उम्मीद, अब बची नहीं जवाब देने वाली सरकार: विजय वडेट्टीवार ⁕
  • ⁕ Akola: शिंदे सेना की समीक्षा बैठक; 'महानगर पालिका पर लहराएगा भगवा' ⁕
  • ⁕ इंडिगो की फ्लाइट सर्विस में रुकावट की वजह से बनी स्थिति जल्द ही कंट्रोल में आएगी: राम नायडू ⁕
  • ⁕ Chandrapur: एमडी पाउडर के साथ दो युवक गिरफ्तार, स्थानीय क्राइम ब्रांच की कार्रवाई ⁕
  • ⁕ Parshivni: पुलिस पाटिल ने भागीमाहरी-पेढ़री ग्राम पंचायत क्षेत्र में हड़पी जल सिंचन विभाग की 5 एकड़ जमीन ⁕
  • ⁕ Buldhana: जलगांव जामोद से तीन नाबालिग लड़कियां लापता! माता-पिता की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ किडनैपिंग का केस दर्ज ⁕
  • ⁕ Wardha: नगर परिषद चुनाव से पहले अवैध शराब फैक्ट्री का भंडाफोड़, 250 पेटी शराब जब्त, मुख्य आरोपी मौके से फरार ⁕
Nagpur

सुनील केदार को बड़ा झटका, अदालत ने NDCC घोटाले जांच पर लगी रोक हटाई


नागपुर: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुनील केदार (Sunil Kedar) को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने 2001 में हुए नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक घोटाले (NDCC) पर लगी रोक हटा दी है। शनिवार को सुनवाई करते हुए सर्वोच्चा न्यायालय (Supreme Court) ने यह आदेश दिया। इसके बाद मामले पर निर्णय आने का रास्ता साफ़ हो गया है। 

ज्ञात हो कि, 2001 में  नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक में 152 करोड़ से ज्यादा का घोटाला सामने आया था। जिस समय यह घोटाला सामने आया उस समय सुनील केदार बैंक के अध्यक्ष थे। इसी संबंध में वह इस मामले का मुख्य आरोपी भी है। जब मामला अंतिम चरण में था तब केदार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। फिर कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी। लेकिन अब कोर्ट ने ये रोक हटा दी है।

क्या है पूरा मामला?

1999 में सुनील केदार नागपुर डिस्ट्रिक्ट बैंक के चेयरमैन थे। उस समय बैंक का धन एक निजी कंपनी की मदद से कलकत्ता में कंपनी के शेयरों में निवेश किया गया था। लेकिन सहकारिता विभाग के एक्ट के मुताबिक बैंक से छूट लिए बिना बैंक का पैसा कहीं और निवेश नहीं किया जा सकता। इस नियम का उल्लंघन कर राशि का निवेश किया गया। निजी कंपनी दिवालिया हो गई। इससे किसान का बैंक में रखा पैसा भी डूब गया।

केदार पर अपने स्वार्थ के लिए घोटाला करने का आरोप लगा। केस दर्ज होने के बाद मामला जिला सत्र न्यायालय में चलता है। जब मामला फैसले के अंतिम चरण में था, केदार यानी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई। इस दर्जे के खिलाफ राज्य सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ का दरवाजा खटखटाया था। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट से रोक हटाने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने राज्य सरकार की मांग को स्वीकार कर लिया और रोक हटा दी।