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नागपुर मनपा के लिए भाजपा की रणनीति तय; चुनाव में इस फार्मूले को करेगी लागू, इन कद्दावर नेताओं को मिलेगा मौका, तो इनका कटेगा टिकट


-@रवी शुक्ला

नागपुर: आगामी नागपुर महानगर पालिका चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति तय कर ली है। भाजपा  दिल्ली, गुजरात, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में इस्तेमाल किए गए जीताऊ फॉर्मूले को नागपुर मनपा में लागू करेगी। भाजपा मनपा में अपने वर्तमान पार्षदों में से 90 प्रतिशत पार्षदों को दोबारा मौका नहीं देगी, उनकी जगह नए चेहरों को उतरेगी। हालांकि, पार्टी मनपा में अनुभव और नई ऊर्जा का संतुलन बनाने के लिए कुछ सीटों पर अपने पुराने कद्दावर नेताओं को फिर से उतार सकती है। मिली जानकारी के अनुसार, इसको लेकर शहर स्तर से लेकर राज्य स्तर तक एकमत हो गया है। 

ज्ञात हो कि, भारतीय जनता पार्टी 2007 से मनपा  की सत्ता में काबिज है। 2007 और 2012 के चुनाव में भाजपा-शिवसेना मिलकर चुनाव लड़ा और मनपा में अपनी सत्ता स्थापित की। वहीं 2017 के चुनाव में भाजपा सहित तमाम दल अपने दम पर उतरे। इस चुनाव में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की और 151 सीटों मेसे 109 सीटें जीत ली। हालांकि, 2022 में मनपा में प्रशासक राज आ गया और तब से अब तक प्रशासक का राज चल रहा है। 

पार्षदों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर

15 साल के शासन के कारण भाजपा सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। भाजपा के कई ऐसे पार्षद है जो लहर में चुनाव में जीत गए, लेकिन पांच साल तक न लोगों से मिले और न ही अपने क्षेत्र में दिखाई दिए। इस कारण लोगों में नेताओं के लिए काफी रोष दिखाई दे रहा है। कईयों को तो नागिरकों के विरोध भी झेलना पड़ा है। वहीं बीते तीन साल से प्रशासक राज होने के कारण नागरिकों में यह और मजबूत हो गया है। छोटे-छोटे, गली मोहल्ले के काम नहीं होने से लोग अपने जनप्रतिनिधि के प्रति गुस्से में हैं। वहीं कई ऐसे भी हैं जिनका पार्टी के अंदर विरोध है, कार्यकर्ता नहीं चाहते उन्हें दोबारा मौका मिले।

पार्षदों को दोबारा मौका देना मतलब हार फिक्स!

2024 लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए उम्मीदवार चयन चुनाव में जीत और हार का प्रमुख कारण रहा। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने उन सांसदों को दोबारा मौका दिया जिनके प्रति जमीन पर गुस्सा साफ़ दिखाई दे रहा था। परिणाम यह हुआ कि, भाजपा राज्य में केवल नौ सीटों पर सिमट गई।  वहीं विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने उन विधायकों को दोबारा मौका दिए जिनको लेकर नागरिकों में रोष था उन्हें चुनाव में मुकि खानी पड़ी। लोकसभा और विधानसभा चुनाव जैसी स्थिति मनपा चुनाव में न हो इसको देखते हुए भाजपा ने अपने उन पार्षदों को बैठाने का निर्णय लिया है, जिनके प्रति नागरिकों में गुस्सा है। हालांकि, चुनाव में उनकी जगह उनके परिवार या करीबी को मौका मिल सकता है। 

नागपुर का परिणाम देश में करेगा असर 

नागपुर मनपा चुनाव न केवल भाजपा बल्कि तमाम दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। भाजपा की मातृत्व संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय नागपुर में ही मौजूद है। सर संघचालक मोहन भागवत सहित संघ के तमाम बड़े नेता यही रहते है। वहीं राज्य के मुखिया देवेंद्र फडणवीस हो या केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नागपुर से हैं। इसलिए नागपुर का चुनावी परिणाम न केवल राज्य का बल्कि देश में नैरेटिव सेट करता है। भाजपा हो या संघ दोनों के लिए नागपुर मनपा की सत्ता बहुत जरुरी है। भाजपा अगर यहाँ चुनाव हारती है तो उसके विरोधी देशभर में नागपुर का उदहारण पेश कर भाजपा को घेरेंगे। वहीं चुनाव जीतती है तो उसका भी अलग असर देश भर में दिखाई देगा। 

टिकट काटना बना जीत का फार्मूला 

भाजपा ने सबसे पहले यह फार्मूला दिल्ली नगर निगम चुनाव में इस्तेमाल किया था। भाजपा ने अपने सभी पार्षदों का टिकट काटते हुए नए चेहरे को मौका दिया। परिणाम यह हुआ कि, भाजप प्रचंड जीत हासिल पर दोबारा नगर निगम में लौटी। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव, 2022 गुजरात विधानसभा सहित स्थानीय निकाय चुनाव में इस्तेमाल किया गया। हाल ही में हरियाणा और छत्तीसगढ़ में हुए निकाय चुनाव में भाजपा ने यही फार्मूला इस्तेमाल किया। जिसमें पार्टी को प्रचंड जीत हासिल हुई। यही नहीं भाजपा ने उन सीटों पर भी जीत का परचम लहराया जिनपर अपने निर्माण के बाद भाजपा कभी नहीं जीती थी। नागपुर मनपा में इस फार्मूला के साथ भाजपा अपनी सत्ता बरक़रार रखना चाहती है। 

इन नेताओं को दोबरा मौका दे सकती है भाजपा

भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भाजपा आगामी चुनाव में अनुभव और नए जोश के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी। भाजपा की रणनीति स्पस्ट है कि, चुनाव में जीतकर मनपा की सत्ता में काबिज होना है। इसके तहत भाजपा अपने कई पुराने और प्रमुख नेताओं को घर में बैठाने का निर्णय ले लिया है। वहीं कइयों को दोबारा मौका भी देगी। सूत्रों के अनुसार, भाजपा वर्तमान शहर अध्यक्ष दयाशंकर तिवारी, पूर्व परिवहन सभापति बंटी कुकड़े, बाल्य बोरकर, धर्मपाल मेश्राम सहित दिलीप दिवे को दोबारा मौका दे सकती है। इसी के साथ एनआईटी चेयरमैन रहे संदीप जाधव, पूर्व स्थाई समिति सभापति वीरेंदर कुकरेजा को भी चुनाव में उतार सकती है। 

इन युवाओं को मिल सकता है चुनाव में मौका 

भाजप लगातार संगठन में एक्सपेरिमेंट कर रही है, जिससे भविष्य के नेताओं को खड़ा किया जा सके। भाजपा लगतार अपने संगठन के उन नेताओं को चुनावी राजनीति में ला रही ही जिनका नागरिकों सहित विभिन्न विषयों पर कड़ी पकड़ है। वहीं आगामी दिनों में भाजपा के अंदर एक लाख नए नेता बनाने का लक्ष्य प्रधानमंत्री मोदी ने रखा है, इसी के तहत भाजपा मनपा चुनाव में कई युवा नेताओं पर दांव लगा सकती है। आगामी चुनाव में जिन लोगों को मौका मिल सकता है उनमें वर्तमान युवा मोर्चा प्रदेश महासचिव शिवानी दाणी वखरे, प्रदेश उपाध्यक्ष परेन्द्र पटले, देवा देहनकर, मध्य नागपुर के पूर्व विधायक विकास कुंभारे के बेटे श्रेयस कुंभारे का नाम शामिल है। मिली जानकारी के अनुसार, युवा मोर्चा से भाजपा करीब 15 सीटों पर उम्मीदवार  बनाएगी।