अकोला पश्चिन विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ रद्द, उच्च न्यायालय ने याचिका पर लिया निर्णय
अकोला: बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने अकोला पश्चिम विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर रोक लगा दी है। ज्ञात हो कि, केंद्रीय चुनाव आयोग ने लोकसभा के साथ अकोला पश्चिम विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने का निर्णय लिया था। जिसके खिलाफ अदालत में याचिका लगाई थी, जिसपर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस एमएस खाबिकर की बेंच ने यह निर्णय दिया।
याचिकाकर्ता अनिल दुबे ने अकोला पश्चिम उपचुनाव को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि कानून में प्रावधान है कि जब मुख्य चुनाव में एक साल से कम समय रह गया हो तो उपचुनाव नहीं कराया जा सकता। जब विधानसभा चुनाव सिर्फ पांच-छह महीने दूर हैं तो अकोला पश्चिम में उपचुनाव की क्या जरूरत है? ये उपचुनाव कराकर मतदाताओं पर बोझ डाला जा रहा है और व्यवस्थाओं पर अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है। एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी चंद्रपुर, पुणे लोकसभा उपचुनाव नहीं हुए।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि अकोला में चुनाव कराकर जनता के पैसे की बर्बादी की जा रही है। याचिकाकर्ताओं की दलीलों को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने अकोला (पश्चिम) उपचुनाव अधिसूचना रद्द करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता जगविजय सिंह गांधी ने बहस की. चुनाव आयोग की ओर से वकील श्रीकांत धरस्कर और राज्य सरकार की ओर से वकील देवेन्द्र चव्हाण ने पक्ष रखा।
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